नगर परिषद कार्यालय मझौली से प्राप्त सूचना के अधिकार (RTI) के तहत जारी वर्ष 2023 से 2025 तक की भवन अनुज्ञा सूची ने नगर प्रशासन की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
मझौली (जिला जबलपुर)।
कुल 16 भवन अनुज्ञा स्वीकृतियाँ सूचीबद्ध की गई हैं, जिनमें कई संदिग्ध प्रविष्टियाँ, असंगत विवरण और प्रक्रिया से जुड़े प्रश्न सामने आ रहे हैं।
क्या कहते हैं आंकड़े?
* सबसे ज़्यादा अनुज्ञा वार्ड क्रमांक 7 से प्राप्त हुई है — कुल 5 से अधिक प्रकरण।
* कई भवन अनुज्ञा फॉर्म अधूरे हैं: जैसे एक आवेदक का नाम “वेद प्रकाश साहू पिता लक्ष्मी प…” अधूरा है।
* सूची में किसी भी फाइल नंबर, स्वीकृति दिनांक या भू-राजस्व विवरण (खसरा नंबर आदि) का उल्लेख नहीं किया गया है — जो पारदर्शिता में गंभीर कमी दर्शाता है।
–अनियमितता और संभावित आर्थिक क्षति:
नगर परिषद कार्यालय में कार्यरत कर्मचारी जिस प्रकार भवन अनुज्ञा स्वीकृति में:
* पारदर्शिता का अभाव रख रहे हैं,
* बिना भूमि सत्यापन एवं दस्तावेज़ मिलान के अनुमति जारी की गई प्रतीत होती है,
* कई वार्डों में बार-बार स्वीकृति जारी होना आंतरिक सेटिंग की आशंका को जन्म देता है,
तो यह नगर परिषद को सीधे तौर पर राजस्व क्षति और विकास कार्यों के दुरुपयोग की दिशा में धकेल रहा है।
1. नगर परिषद कार्यालय की भवन अनुज्ञा प्रक्रिया की स्वतंत्र जांच कराई जाए।
2. सूची में दर्ज सभी स्वीकृतियों की मूल फाइलें व नक्शे सार्वजनिक किए जाएँ।
3. यदि बिना राजस्व अभिलेख सत्यापन या गलत जानकारी के आधार पर अनुमति दी गई हो — तो जिम्मेदार अधिकारी/कर्मचारी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो।
क्या कहते नगरवासी
रेखा वर्मा, शिक्षिका:
“हमने भवन अनुज्ञा के लिए कई बार आवेदन दिया, लेकिन न अधिकारी सुनते हैं, न कार्रवाई होती है। लेकिन कुछ लोग बार-बार अनुमतियाँ ले रहे हैं। जांच होनी चाहिए।”
रामेश्वर पटेल, सामाजिक कार्यकर्ता:
“यह RTI दिखाती है कि नगर परिषद में बिना भू-स्वामित्व जांच के किसे भी भवन अनुज्ञा दे दी जाती है। इससे न सिर्फ नगर का नक्शा बिगड़ रहा है बल्कि वैधानिक प्रक्रिया की धज्जियां उड़ रही हैं।”




