पुरानी घटनाएं बन रही चेतावनी, लेकिन प्रशासन अब भी मौन
मझौली (जबलपुर)
नगर परिषद मझौली क्षेत्र में वर्षों से खड़े जर्जर भवन अब मौत को दावत दे रहे हैं, लेकिन प्रशासन की सुस्ती का आलम यह है कि आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। शहर के प्रमुख बाजार, पुरानी बाजार, वार्ड नं 8 वार्ड क्रमांक 7 चौधरी मुहल्ला 11/12/13/14/15 मे कई ऐसे पुराने मकान हैं, जो हल्की बारिश या हवा में भी भरभरा सकते हैं।
घटनाएं जो बनीं सबक, फिर भी नहीं जागा प्रशासन
– साल 2021 में भटरियाआ मोहल्ला क्षेत्र में एक जर्जर मकान का हिस्सा अचानक गिर पड़ा था। घटना के समय बच्चे वहीं पास खेल रहे थे। गनीमत रही कि जानमाल की हानि नहीं हुई, लेकिन क्षेत्र में भय का माहौल बन गया।
– 2022 में सुखमाल जैन की एक पुरानी इमारत की छत बारिश के दौरान गिर गई थी, जिसमें एक वृद्ध व्यक्ति घायल हो गया था। परिवार वालों ने नगर परिषद को पूर्व में लिखित शिकायत दी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
– 2023 -24 में बस स्टैंड के पास वार्ड क्रमांक 12 में मकान की दीवार गिरने से दो लोगों की मौत हो गई थी । इसके बावजूद नगर परिषद द्वारा उस क्षेत्र के अन्य भवनों का निरीक्षण नहीं किया गया।
RTI से खुलेंगे राज
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता सुशील यादव ने हाल ही में नगर परिषद मझौली के विरुद्ध सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत आवेदन दायर किया है, जिसमें उन्होंने पूछा है:
– जर्जर भवनों की पहचान कब और कैसे की गई?
– कौन-कौन से भवन आज भी खतरे की स्थिति में हैं?
– किन भवन मालिकों को नोटिस दिया गया है?
– कौन अधिकारी/कर्मचारी इस कार्य में जिम्मेदार हैं?
– कार्रवाई में देरी के क्या कारण हैं?
भ्रांतियों, दबाव और विभागीय सुस्ती का घालमेल
जानकारों की मानें तो नगर परिषद कभी “न्यायालय में मामला लंबित है” तो कभी “भवन स्वामी गरीब है” जैसी दलीलें देकर कार्रवाई को टाल देती है। कुछ मामलों में राजनीतिक हस्तक्षेप और आंतरिक भ्रष्टाचार भी बड़ी बाधाएं हैं। अफसरशाही की यह उदासीनता जनता की जान जोखिम में डाल रही है।
जनता में रोष, हादसे की आशंका
स्थानीय निवासी रमेश पटेल, रेखा चौधरी और मनोज साहू का कहना है कि प्रशासन हर बार हादसे के बाद हरकत में आता है, लेकिन उससे पहले आंख मूंदे रहता है।
“हम बच्चों को बाहर भेजने से डरते हैं। ये खंडहर जैसे मकान कभी भी गिर सकते हैं,” – कहते हैं वार्ड क्रमांक 11 के निवासी।