मिष्ठान भंडारों से लिए जा रहे सैंपल, पर कार्रवाई ‘शून्य’
मझौली, जिला जबलपुर।
एक ओर सरकार “स्वस्थ भारत” अभियान चला रही है, वहीं दूसरी ओर नगर मझौली में स्वास्थ्य से सीधे जुड़े मसले पर लापरवाही साफ नजर आ रही है। खाद्य सुरक्षा अधिकारी बिनोद धुर्वे द्वारा बीते कई महीनों से नगर के विभिन्न मिष्ठान भंडारों से मिठाइयों के नमूने (सेम्पल) लिए जा रहे हैं, परंतु आज दिनांक तक किसी भी विक्रेता पर न तो कोई कार्रवाई की गई, न ही रिपोर्ट सार्वजनिक की गई।
स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर मिठाइयों में मिलावट नहीं है, तो रिपोर्ट सार्वजनिक की जानी चाहिए, और अगर मिलावट है, तो संबंधित दुकानदारों पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। परंतु ऐसा कुछ नहीं हो रहा, जिससे विभाग की मंशा पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
किराना और डेयरियों में भी खुलेआम बिक रहा ‘स्लो पॉइजन’
मात्र मिठाई ही नहीं, कई किराना दुकानों और डेयरी संचालकों द्वारा नकली या मिलावटी दूध, घी, तेल, बेसन जैसे खाद्य पदार्थ खुलेआम बेचे जा रहे हैं, जिससे आमजन, विशेष रूप से बच्चे और बुजुर्ग, गंभीर बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। फिर भी इन दुकानों की न तो नियमित जांच हो रही है, न ही किसी तरह की पाबंदी।
तो वही क्षेत्रीय निवासियों में इस लापरवाही को लेकर भारी आक्रोश है। कई लोगों ने इस विषय पर एफआईआर दर्ज करने और कलेक्टर जबलपुर से जांच की मांग की है।
यदि खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग इसी तरह मूकदर्शक बना रहा, तो त्योहारों के मौसम में मिलावटखोर और अधिक सक्रिय हो सकते हैं, जिससे जनस्वास्थ्य को भारी खतरा हो सकता है। शासन को चाहिए कि इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराए और दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करे।
स्धानिय नागरिकों का कहना है कि
किसी की सेहत से खिलवाड़, नकली दूध और मिठाई बेचना क्या अपराध नहीं है?
क्या कार्रवाई सिर्फ मर्डर या लूट के बाद ही होगी