5500 मध्य प्रदेश पुलिस कर्मचारियों की पुकार सुनेगा उनका विभाग एमपी मध्य प्रदेश पुलिस केस समर्थन में पुलिस विभाग एवं पुलिस परिवार कल्याण संघ ने समस्त सेनानियों और पुलिस अधीक्षकों को पत्र लिखकर जिओपे संशोधन करने की मांग की है
भोपाल
समस्त पुलिस परिवारों को विश्वास दिलाया है कि मध्य प्रदेश पुलिस के कर्मचारियों के हित में संगठन सड़कों पर उतर कर आंदोलन भी कर सकता है* मध्यप्रदेश में यूं तो मध्य प्रदेश पुलिस में कुछ भी हो सकता है पर पीड़ित और प्रताड़ित के लिए शासन की नजरों इनायत होंगी या नहीं यह केवल पुलिस के मुखिया या उनके अधीनस्थ अधिकारियों पर ही निर्भर है अगर हुआ तो यह मध्य प्रदेश पुलिस के इतिहास की स्वर्णिम घटना में गिनी जाएगी और नही हुआ तो बेहद उन कर्मचारियों के लिए बेहद दुखद क्षण व घटना मानी जाएगी क्योंकि विशेष सशस्त्र बल के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक द्वारा एक हाल ही में पुलिस रेगुलेशन की कंडिका में संशोधन के लिए समस्त पुलिस इकाइयों में पुलिस रेगुलेशन इंडिका में संशोधन के लिए सुझाव मांगे है जो उन हजारों ट्रेड आरक्षको के लिए उम्मीद जगा देने वाला फरमान है जो पिछले 10 वर्षों से पुलिस की जिओपी मैं संशोधन के लिए इसका इंतजार कर रहे हैं क्योंकि उनको लगता है की अब वक्त आ गया है जब पुलिस मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों की मेहरबानी उन पर हो जाएगी वक्त आ गया है जब पुलिस मुख्यालय भोपाल की समस्त पुलिस इकाइयों को अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक विशेष सशस्त्र बल ने पुलिस रेगुलेशन इंडिका में संशोधन के सुझाव मांगे हैं अब सबसे ज्यादा सोचने और देखने वाली बात यह है कि पुलिस विभाग के वह समस्त पुलिस इकाइयां जिनके मुखिया पुलिस अधीक्षक/सेनानी जो कि आईपीएस अधिकारी होते है वह ट्रेड आरक्षकों के लिए पुलिस मैनुअल में संशोधन का सुझाव पुलिस मुख्यालय भोपाल को देते है या नहीं या पुलिस मुख्यालय उस सुझाव पर संज्ञान लेने की अलावा अपनी ओर से पहल कर के ही संविलियन तृतीय पुनः प्रारंभ कर दे आपको बता दें कि पुलिस मुख्यालय भोपाल 2013 में पुलिस रेगुलेशन में जो संशोधन किया गया था वह मध्य प्रदेश पुलिस ट्रेड आरक्षकों की जीवन में काला दिवस के रूप में सिद्ध हुआ था कुछ नियम के खिलाफ कई आरक्षक कोर्ट की शरण में पहुंचे और कोर्ट ने भी उनके पक्ष में फैसला सुना कर पुलिस ने महक ने की किरकिरी कर दी साथ ही कई जनप्रतिनिधियों ने भी वर्तमान ज्योति बंद कर पूर्व में चल रहे संविलियन नियम को पुनः प्रारंभ करने के लिए सीएम और गृहमंत्री को पत्र लिखें और विधानसभा में भी दो बार उस संबंध में प्रश्न उठाया गया पुलिस विभाग के आईपीएस अधिकारी चाहते हैं की ट्रेड आरक्षक प्रमोशन होने के बाद भी वही कार्य रिटायर होने तक करता रहे यह फरमान 2013 में जारी हुआ जोकि सिविल सेवा अधिनियम और विशेष अधिकार अधिनियम दोनों के विपरीत ही लिया गया निर्णय था पर अब 2023 में संशोधन का वर्ष है क्या 5500 ट्रेड आरक्षक को पुलिस विभाग थोड़ी राहत देगा या प्रताड़ित होने के लिए उन्हें किसी संस्था या संगठन या फिर हाईकोर्ट का सहारा लेना होगा ?