धार्मिक आस्था का केंद्र मझौली स्थित बिष्णु बाराह मंदिर
मझौली (संवाददाता):
आज खुद बदहाल स्थिति का शिकार है।धार्मिक, सांस्कृतिक और प्रशासनिक महत्व यह किसी प्राचीन, ऐतिहासिक या लोकप्रिय मंदिर की उपेक्षा और प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है।
जहां एक ओर श्रद्धालु बड़ी संख्या में दर्शन हेतु पहुंचते हैं, वहीं दूसरी ओर मंदिर परिसर में फैली अव्यवस्थाएं प्रशासनिक लापरवाही की कहानी बयां करती हैं।
आज भी धार्मिक आस्था का एक केंद्र है, परंतु वहां पर न तो श्रद्धालुओं के लिए उचित सुविधाएं हैं और न ही धार्मिक आयोजनों हेतु कोई स्थायी व्यवस्था।
मुख्य समस्याएं इस प्रकार हैं
1. मंदिर परिसर में मुंडन भवन / संस्कार कक्ष की अनुपस्थिति।
2. कथा मंच / स्थायी पंडाल का अभाव, जिससे भागवत, रामायण आदि के आयोजन नहीं हो पाते।
3. शौचालय, पीने का पानी, बैठने की जगह जैसी सामान्य सुविधाओं की कमी।
4. परिसर में सफाई व्यवस्था बेहद खराब है।
5. मंदिर परिसर में कोई भी चौकिदार या नियुक्त कर्मचारी उपस्थित ही नहीं रहते
6. त्यौहारों में या एकादशी ग्यारस, पूर्णिमा, जैसे अवसरों पर कर्मचारियों या ग्राम कोटवारों की डिप्यूटी लगाई जाए जिससे व्यवस्था सुनिश्चित करें
उक्त मंदिर को प्राथमिकता दी जाए तथा इसके संरक्षण एवं विकास के लिए आवश्यक बजट एवं योजना बनाई जाए।
यह मंदिर केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर है —
विशेष पर्वों या मेलों के समय श्रद्धालुओं को भारी असुविधा का सामना करना पड़ता है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है
मंदिर का ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व होने के बावजूद इसकी उपेक्षा की जा रही है। पर्यटन की दृष्टि से इसे विकसित किया जा सकता है, लेकिन जिम्मेदार विभाग आंख मूंदे हुए हैं।
श्रद्धालुओं और जनप्रतिनिधियों ने मांग की है कि जल्द से जल्द मंदिर की मरम्मत, साफ-सफाई और मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था की जाए