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Friday, June 20, 2025

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि देश के न्याय तंत्र में जस्टिस जे.एस. वर्मा आदर्श रूप में स्थापित हैं।

कई संवेदनशील मामलों में उनके द्वारा दिये गये फैसले उनकी सोच को परिलक्षित करते हैं 

जबलपुर

जस्टिस वर्मा को उनके पथ प्रदर्शक निर्णयों और विचारों के लिये सदैव याद किया जायेगा । उनके जीवन और विचार हमें और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे । जस्टिस वर्मा की न्यायिक सोच की प्रवृत्ति ने नये आयाम और कई प्रतिमान गढ़े हैं। उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने यह बात आज यहां मानस भवन में आयोजित जस्टिस जे.एस. वर्मा स्मृति व्याख्यानमाला को संबोधित करते हुए कही।

– विवेक तन्खा

इस अवसर पर राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सर्वश्री संजय किशन कौल एवं जे के माहेश्वरी, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ, राज्यसभा सांसद विवेक कृष्ण तन्खा, चेयरमैन एमपी स्टेट बार कौंसिल विजय चौधरी और पूर्व महाधिवक्ता एवं सचिव जस्टिस जेएस वर्मा स्मृति समिति शशांक शेखर मंचासीन थे।
उप राष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने जस्टिस जे.एस. वर्मा की स्मृति में इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए बधाई देते हुए कहा कि वे यहां आकर खुद को गौरवांवित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण करने के बाद मुख्यमंत्री श्री चौहान ने मुझे मध्य प्रदेश आने का न्यौता दिया था और इस न्यौते को मैं शुभ्रा वर्मा एवं विवेक तन्खा की वजह से पूरा कर पाया हूं। जिन्होंने जस्टिस जे.एस. वर्मा की स्मृति में यह व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित करवाया है।
उप राष्ट्रपति ने कहा कि न्यायमूर्ति वर्मा 1986 से 1989 के दौरान राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे, जबकि मैं बार एसोसिएशन का अध्यक्ष और बार काउंसिल का सदस्य भी रहा। उनका कार्यकाल न्यायिक पारिस्थितिकी तंत्र के उत्थान, पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाने के साथ चिह्नित किया गया था । सुप्रीम कोर्ट में रहते हुए, उन्होंने कई ऐसे फैसले दिए जिन्होंने समाज को पूर्ण रूप से प्रभावित किया है। विशाखा और अन्य बनाम राजस्थान राज्य और अन्य के अपने ऐतिहासिक फैसले में उन्होंने कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न से महिलाओं को विशिष्ट सुरक्षा प्रदान करने के लिए तंत्र को न्यायिक रूप से संरक्षित किया। इस फैसले में न्यायिक क्षेत्राधिकार की उच्चता का एक और महत्वपूर्ण पहलू है जिस पर ध्यान देने की जरूरत है। फैसले में उन्होंने प्रतिबिंबित किया “ये निर्देश कानून में बाध्यकारी और लागू करने योग्य होंगे जब तक कि क्षेत्र पर कब्जा करने के लिए उपयुक्त कानून नहीं बनाया जाता है” यह सत्ता के पृथक्करण के सिद्धांत के ईमानदारी से पालन का एक उदाहरण है।
उप राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे शास्त्र कहते हैं ‘धर्मो रक्षति रक्षितः’ – ‘कानून हमारी रक्षा करता है अगर हम इसकी पवित्रता को बनाए रखते हैं’। यह लोकतंत्र और कानून के शासन का ‘अमृत’ है। व्यापक और अच्छी तरह से प्रचलित धारणा है कि यह स्वस्थ सिद्धांत वर्तमान में तनाव में है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र का सबसे अच्छा पोषण तब होता है जब सभी संवैधानिक संस्थान पूरी तरह से समन्वित होते हैं और अपने-अपने क्षेत्र में सीमित होते हैं।
श्री धनखड़ ने कहा कि न्यायाधीशों का सम्मान और न्यायपालिका का सम्मान अहिंसक है क्योंकि ये कानून के शासन और संवैधानिकता के मूल सिद्धांत हैं। देश में सभी को यह समझने की जरूरत है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। अधिकार और उच्च पदों पर बैठे लोगों को व्यापक जनहित में इसका संज्ञान लेने और लोकतांत्रिक प्रणाली को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। उप राष्ट्रपति ने मीडिया से अपील की कि न्यायपालिका के बारे में रिपोर्टिंग करते समय बेहद सतर्कता बरतें । उन्होंने कहा कि स्वर्गीय न्यायमूर्ति जगदीश शरण वर्मा को हमेशा उन पथ-प्रदर्शक निर्णयों और विचारों के लिए याद किया जाएगा, जिन्होंने नागरिकों को सशक्त बनाया है और लोगों के कल्याण के लिए सरकार और संस्थानों को सक्षम बनाया है।
विशाखा मामले में जस्टिस वर्मा का फैसला साबित हुआ मील का पत्थर – श्री चौहान
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जस्टिस जे.एस. वर्मा ने मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण न्याय जगत का सीना गर्व से चौड़ा किया है। उनकी स्मृति में आयोजित व्याख्यान माला के लिये सभी को धन्यवाद देता हॅूं । जस्टिस वर्मा ने अपने फैसलों से ऐसे उदाहरण पेश किये जिसको यह देश कभी नहीं भूल सकता। उनके फैसलों ने यह स्थापित किया कि रूल ऑफ लॉ, रूल बाय लॉ को कैसे फॉलो किया जाता है। वर्ष 1997 में महिलाओं के गौरवपूर्ण जीवन जीने के लिये मौलिक अधिकार को सुरक्षित बनाने वाला फैसला विशाखा केस मे आया था। कामकाजी महिलाओं के यौन उत्पीड़न को रोकने के लिये विशाखा गाइड लाइन के रूप में लागू की गई। उसके आधार पर संसद ने क्रिमिनल लॉ में कई संशोधन किये थे। वह मील का पत्थर साबित हुये । मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि निर्भया काण्ड जैसी घटनाएं नहीं हो इसके लिये जस्टिस वर्मा ने जो योगदान दिया है यह देश कभी नहीं भूला पाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि न्याय पालिका के विस्तार एवं महिलाओं के हक के लिये वर्ष 2012 में जो अनुशंसा की गई है उसके लिये देश सदैव ऋणी रहेगा । मुख्यमंत्री ने हाल ही में भोपाल में बच्ची के साथ हुई घटना का जिक्र करते हुये कहा कि बच्चों के साथ जो अनैतिक घटनायें घटित होती है, उसमें 90 प्रतिशत घटनायें परिचितों एवं उनके रिश्तेदारों द्वारा की जाती है। प्रदेश में कानून बनाया गया कि मासूम बच्चियो के साथ दुराचार करने वालों को फांसी दी गई। आम आदमी आज आंख बंद करके भरोसा न्यायपलिका पर करता है। हमने यह व्यवस्था बनाई है कि इस तरह के अपराधों को चिन्हित अपराध की श्रेणी में शामिल कर रिकॉर्ड समय में कठोर सजा दे। उन्होंने कहा कि न्याय की भाषा मातृ भाषा क्यों नहीं हो सकती है इस पर विचार करने की आवश्यकता है। इसके लिये अटल बिहारी वाजपेयी को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी में भाषण दिया। वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी भी अपनी भाषा में बात करते हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में मेडिकल एवं इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी मातृभाषा हिन्दी में कराई जाएगी।
व्याख्यान माला में जस्टिस श्री माहेश्वरी ने अपने संस्मरण बताते हुए कहा कि नवम्बर 1985 में जब वे वकील बने । उनकी पहली सुनवाई जे.एस. वर्मा की वजह से हुई। अगर वर्मा जी नहीं आते तो मुझे हाईकोर्ट में जाने का मौका नहीं मिलता। एक बार जब वे क्रिमिनल अपील में बैठे तो वहां वकील मौजूद नहीं हुआ उन्होंने वहां देखा कि कौन नया लड़का बैठा है। उन्होंने मुझसे 11 बजे कहा कि आप 2.30 बजे आइये मैं यह बहस सुनुंगा मैं अचंभित हो गया। मैंने जितना संभव हुआ उतनी बहस इस पर की ।
इस अवसर पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश श्री रवि मलिमथ ने कहा कि जस्टिस जे एस वर्मा द्वारा किये गये महत्वपूर्ण फैसलों में सरोजिनी रामास्वामी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया, नीलाबती मेहरा बनाम उड़ीसा राज्य, एस.आर बोम्मई बनाम यूनियन ऑफ इंडिया एवं विशाखा बनाम राजस्थान राज्य एवं टी.एन. गोडावर्मन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया शामिल है। उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष का दायित्व भी बखूबी संभाला। उन्होंने कहा उनका जीवन न्याय के लिये समर्पित रहा। उन्होने श्री वर्मा के प्रांरभिक जीवन से लेकर उनके वकील, न्यायाधीश, राजस्थान आयोग के अध्यक्ष बनने तक की जीवन यात्रा के बारे में बताया।
जस्टिस श्री कौल ने व्याख्यान माला को संबोधित करते हुए कहा कि जस्टिस श्री वर्मा के फैसले जनहित के लिये जाने जाते हैं। उनके द्वारा किये फैसले प्रेरणदायी है। विशाखा गाइड लाइन के महत्वूपूर्ण निर्णय, नीलाबती बेहरा केस आदि का जिक्र जस्टिस कोल ने किया। उन्होंने कहा कि जस्टिस श्री वर्मा का जीवन अनुशासन आधारित रहा है। उनके फैसलों में सेंस ऑफ हृयूमर, सेंस ऑफ डिसीप्लीन की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। जस्टिस श्री वर्मा ने समाज में महिलाएं किन समस्याओं से जूझती है उन पर फोकस कर फैसले लिये हैं।
व्याख्यानमाला को संबोधित करते हुए श्री विवेक तन्खा ने कहा कि जस्टिस वर्मा जब 1970- 1980 के दशक में प्रदेश के न्यायाधीश थे। उनके नाम से लोग डरते थे। उनके फैसलों ने जो छाप छोड़ी वह अमिट है। उनके द्वारा दिये गये तर्कों पर बहस करना मेरे लिए बहुत कठिन होता था। वे बार एसोसिएशन राजस्थान के अध्यक्ष रहे। बार एसोसिएशन के कार्यक्रम में यह दूसरी बार हुआ है कि जब उपराष्ट्रपति आये हैं। 1970-71 में मेरे पिताजी जब बार एसोसिएशन के अध्यक्ष थे तब डॉ. हरि सिंह गौर की प्रतिमा का अनावरण किया जाना था। तत्कालीन उप राष्ट्रपति श्री गोपाल स्वरूप पाठक आये थे। आज मुझे जस्टिस जे.एस. वर्मा की स्मृति में आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम में यह सौभाग्य मिला है जिसमें उपराष्ट्रपति आये हैं। जस्टिस वर्मा के बारे में उन्होंने संक्षिप्त में बताया कि जब श्री तन्खा 1970-80 इस प्रोफेशन में आये। श्री तन्खा बगैर केस की फाइल पढ़े उस पर हस्ताक्षर कर देते थे। एक दिन हमारे सीनियर श्री पाठक का केस जस्टिस वर्मा के कोर्ट में आया। श्री वर्मा ने पाठक जी से कहा कि विवेक तन्खा ने इस पर हस्ताक्षर किये हैं उन्हें बुलायें। उन्होंने मुझसे कहा इस फाइल को आपने बिना पढ़े साइन कर दिये। मैं कुछ कह नहीं सका। उस दिन मैंने यह ठान लिया कि मैं फाइल में तब तक हस्ताक्षर नहीं करूंगा जब तक मैं उसे पढ़ नहीं लूं। यह चीज मैने श्री वर्मा से सीखी। यह बात मैं अपने जूनियर्स से भी कहता हूं। कार्यक्रम में मौजूद श्री राजीव शुक्ल से उन्होंने आग्रहस्वरूप कहा कि आईपीएल के मैचों का आयोजन भी जबलपुर में करवा लिया करें।
इनकी रही विशेष उपस्थिति- राज्य सभा सदस्य श्री राजीव शुक्ला, श्री कार्तिकेय शर्मा, लोकसभा सदस्य श्री बीडी शर्मा, मंत्री लोक निर्माण विभाग श्री गोपाल भार्गव, विधायक सर्व श्री अजय विश्नोई, तरूण भनोत, लखन घनघोरिया एवं संजय शर्मा, महापौर जगतबहादुर सिंह अन्नू, सुश्री शुभ्रा वर्मा, अधिवक्तागण एवं विधि के छात्र- छात्राएं मौजूद रहे।

सुंदरलाल बर्मनhttps://majholidarpan.com/
Sundar Lal barman (41 years) is the editor of MajholiDarpan.com. He has approximately 10 years of experience in the publishing and newspaper business and has been a part of the organization for the same number of years. He is responsible for our long-term vision and monitoring our Company’s performance and devising the overall business plans. Under his Dynamic leadership with a clear future vision, the company has progressed to become one of Hindi e-newspaper , with Jabalpur district.

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