वयस्क बीसीजी टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल हुए मंत्री श्री पटेल
जबलपुर
प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास व श्रम मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल की विशेष मौजूदगी में जबलपुर संभाग के नरसिंहपुर जिला चिकित्सालय में राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत वयस्क बीसीजी टीकाकरण अभियान का शुभारंभ गुरूवार को किया।
कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती ज्योति नीलेश काकोड़िया, पूर्व मंत्री श्री जालम सिंह पटेल, नगरपालिका अध्यक्ष नीरज दुबे, डॉ. अनंत दुबे, कलेक्टर श्रीमती शीतला पटले, पुलिस अधीक्षक श्री अमित कुमार, श्री सुनील कोठारी, अन्य जनप्रतिनिधि, अधिकारी, डॉक्टर्स, जिला चिकित्सालय का स्टाफ और आम नागरिक मौजूद थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मंत्री श्री पटेल ने कहा कि टीबी से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। आज यह जो टीकाकरण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है उसे हमें शासकीय कार्यक्रम नहीं मानना चाहिए, बल्कि यह जनजागरण का कार्यक्रम है। ऐसे कार्यक्रमों में हमें युवाओं, महाविद्यालय के छात्र- छात्राओं, एनएसएस आदि को शामिल किया जाना चाहिए, क्योंकि ये लोग स्वप्रेरित होकर लोगों से अपील कर सकते हैं कि वे टीबी की जाँच कराएं एवं स्वयं व अपने परिवार की स्वास्थ्य की रक्षा करें। उन्होंने कहा कि पहले टीबी को घातक बीमारी माना जाता था। व्यक्ति स्वयं की जाँच कराने से घबराता था और इस बीमारी को किसी अन्य व्यक्ति को बताने में हिचकिचाता था। केंद्र सरकार एवं प्रदेश सरकार द्वारा चलायी जा रही टीकाकरण अभियान के माध्यम से ऐसी बीमारियों को उन्मूलित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा यह संकल्प लिया गया है कि वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाना है। इस संकल्प को पूरा करने में समाज के सभी वर्गों को आगे आकर सहभागिता करनी होगी।
मंत्री श्री पटेल ने कहा कि टीबी को जड़ से समाप्त करने के लिए प्रदान की जाने वाली किट का वितरण समय पर हो। बीमार व्यक्ति चिकित्सक की सलाह का पालन करें। नियमित औषधि लेने पर व्यक्ति पूर्णत: स्वस्थ्य हो सकता है। इसके लिए व्यक्ति अपनी संतुलित आहार पर भी विशेष ध्यान दे। उन्होंने मंच से कहा ज़िले में संचालित टीबी जाँच केंद्र बेहतर तरीक़े से कार्य करें और इसकी मॉनिटरिंग हो। विगत वर्ष ज़िले को कांस्य पदक प्राप्त हुआ था इस वर्ष हमें ज़िले को नंबर वन बनाने के प्रयास करने होंगे। उन्होंने इसके लिए सभी जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संस्थाओं आदि से भी सहयोग की अपेक्षा की है। उन्होंने कहा है कि अपने आस- पड़ोस के व्यक्ति को टीबी की जाँच करने के लिए प्रेरित करें, यह महत्वपूर्ण है। इसके अलावा इस कार्य को स्वप्रेरित होकर काम करने वालों को भी शामिल किया जाये।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ने बताया कि इस अभियान के लिए प्रदेश के चुनिंदा 26 जिलों में नरसिंहपुर जिले को चयनित किया गया है। अभियान के अंतर्गत जिले में 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के पिछले 05 वर्ष के पुराने टीबी रोगी, पिछले 03 वर्ष के टीबी रोगियों के कांटेक्टिव पर्सन, 60 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति, स्वघोषित धूम्रपान करने वाले व्यक्ति, स्वघोषित डायबिटिक मरीज, जिनका बॉडी मॉस इंडेक्स 18 या उससे कम हो, उनको वयस्क बीसीजी का टीकाकरण किया जाना है। वर्ष 2023 में नरसिंहपुर जिले में लक्ष्य के विरूद्ध 2192 टीबी रोगी को चिन्हांकित किया गया था, जो 95 प्रतिशत है, जिसमें 51 प्रतिशत 1116 मरीज टीबी से ठीक हो चुके हैं तथा 37 प्रतिशत 808 मरीज इलाजरत हैं। जिले में वर्तमान में 1,69,195 लाभार्थियों को सूची बद्ध कर लिया गया है, जिसमें से 1,37,000 लाभार्थियों का टीबीविन पोर्टल पर प्री- रजिस्ट्रेशन कर लिया गया है। आज से मध्यप्रदेश में वयस्क बीसीजी टीकाकरण का ऐतिहासिक कदम की शुरूआत की जा रही है। इस पहल से प्रदेश टीबी मुक्त के लक्ष्य को प्राप्त कर पायेगा।
श्रीमती मालती पटेल ने किया टीकाकरण का शुभारंभ
कार्यक्रम में मंत्री श्री पटेल ने जिला चिकित्सालय नरसिंहपुर में आयी श्रीमती मालती पटेल से टीकाकरण का शुभारंभ फ़ीता काटकर करवाया। इसके पश्चात मंत्री श्री पटेल ने इस कार्यक्रम को सभी तक पहुँचाने के लिये मीडिया साथियों से भी आव्हान किया। इस अवसर पर मंत्री श्री पटेल, पूर्व राज्य मंत्री श्री जालम सिंह पटेल, श्री सुनील कोठारी, डॉ. अनंत दुबे, श्री बंटी सलूजा सहित अन्य जनप्रतिनिधियों ने बीसीजी का टीका लगवाया।
मंत्री श्री पटेल ने जिला चिकित्सालय का किया निरीक्षण
कार्यक्रम पश्चात मंत्री श्री पटेल ने अस्थि वार्ड का निरीक्षण किया। यहाँ मौजूद मरीज़ ने बताया कि उनका दिव्यांगता प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहा है। इस पर उन्होंने अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. नवनीत जैन को कारण बताओ नोटिस जारी करने तथा आवश्यक कार्यवाही करने के लिए निर्देशित किया। उन्होंने सिविल सर्जन को निर्देश दिये कि चिकित्सालय की मॉनिटरिंग करें और व्यवस्था को बेहतर बनाया जाये, जिससे की मरीज़ों एवं उनके परिजनों से आसानी से संवाद स्थापित हो सकें।