जिले की सीमा में नलकूप/बोरिंग संबंधित अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) की अनुमति के बिना कोई नलकूप खनन नहीं करेगा
दमोह
उल्लंघन करने पर अधिनियम की धारा- 9 के अनुसार दो वर्ष तक के कारावास या दो हजार रूपये तक का जुर्माना या दोनों से दण्डित करने का प्रावधान
यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होकर 30 जून तक प्रभावशील रहेगा
कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय खण्ड के प्रतिवेदन पर जिले में वर्तमान पेयजल संकट की स्थिति को देखते हुए जनता को आवश्यकता अनुसार पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 तथा संशोधन अधिनियम 2002 (अधिनियम) के अंतर्गत जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों को जल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित करते हुये निम्नानुसार कार्य प्रतिबंधित कर दिये है। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होकर 30 जून 2024 तक प्रभावशील रहेगा।
जारी आदेशानुसार जिले में प्राकृतिक रूप से बहने वाली नदी-नालों तथा तालाबों में उपलब्ध पानी एवं भूमि सतह के नीचे पानी का घरेलू उपयोग एवं पशुधन के रख-रखाव के प्रयोजन के अतिरिक्त पानी की निकासी पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगी।
भवन निर्माण (शासकीय निर्माण कार्य को छोड़कर) जिसमें पानी का अत्यधिक उपयोग होता है, पूर्णतः प्रतिबंधित रहेंगे । अधिनियम की धारा- 6(1) के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति, कलेक्टर की या राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किसी अन्य अधिकारी की अनुज्ञा के बिना, जल अभावग्रस्त क्षेत्र में किसी भी प्रयोजन के लिये, नलकूप खनन नहीं करेगा।
जिले की सीमा में नलकूप/बोरिंग मशीन संबंधित अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) की अनुमति के बिना कोई नलकूप खनन नहीं करेगा। प्रत्येक राजस्व एवं पुलिस अधिकारियों को ऐसी बोरिंग मशीनों जो बिना अनुमति नलकूप खनन/बोरिंग कर रहीं मशीनों को जब्त कर पुलिस में एफ.आई.आर. दर्ज कराने का अधिकार होगा। समस्त अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) को उनके क्षेत्रान्तर्गत इस निमित्त अपरिहार्य प्रकरणों के लिए व अन्य प्रयोजनों हेतु उचित जांच के पश्चात् अनुज्ञा देने हेतु प्राधिकृत किया गया है ।
इस अधिसूचना का उल्लंघन करने पर अधिनियम की धारा – 9 के अनुसार दो वर्ष तक के कारावास या दो हजार रूपये तक का जुर्माना या दोनों से दण्डित करने का प्रावधान है। यह आदेश शासकीय योजनाओं के अंतर्गत किये जाने वाले नलकूप उत्खनन पर लागू नहीं होगा तथा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा कार्य योजनान्तर्गत नलकूप खनन का कार्य कराया जा सकेगा। इस हेतु अनुज्ञा प्राप्त किया जाना आवश्यक नहीं होगी।
नवीन खनित निजी नलकूप एवं अन्य विद्यमान निजी जलस्त्रोतों का, आवश्यकता होने पर सार्वजनिक पेयजल व्यवस्था हेतु अधिनियम की धारा-4 के अंतर्गत अधिग्रहण किया जा सकेगा। कोई भी व्यक्ति जो इस आदेश का उल्लंघन करेगा, वह म.प्र. पेयजल परिरक्षण अधिनियम- 1986 की धारा 9 में उल्लेखित अनुसार 02 वर्ष तक के कारावास या जुर्माने से जो 2000 रूपये तक का हो सकेगा या दोनों से दण्डनीय होगा ।
ज्ञातव्य है कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी खण्ड ने अपने पत्र से लेख किया है कि दमोह जिले की औसत वर्षा 1246 मि.मी. हैं, परन्तु वर्ष 2023 में जिले में 923.40 मि.मी. वर्षा हुई हैं जो औसत वर्षा से 322.60 मि.मी. वर्षा कम हुई हैं अर्थात औसत वर्षा से 25.82 प्रतिशत कम हुई हैं। जिस कारण ग्रामीण क्षेत्रों में जल स्तर नीचे जाने के कारण पेयजल संकट की स्थिति निर्मित हो सकती हैं । दमोह जिले में वर्ष 2023-24 में औसतन वर्षा से कम होने के कारण जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट की स्थिति बन सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों में जल स्त्रोतो, कुएं, तालाब, हैण्डपंप, नदी-नाला, ट्यूब वेल इत्यादि में जल स्तर कम होता जा रहा है, इसके कारण पेयजल एवं निस्तार हेतु जल की कमी महसूस हो रही है । निकट भविष्य में जल की अत्यधिक कमी की पूर्ण संभावना है । दमोह जिले में मध्यप्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 तथा मध्यप्रदेश पेयजल परिरक्षण (संशोधित) अधिनियम 2002, 2022 के प्रावधानों को लागू किया जाना प्रस्तावित किया है।