आप इसमें मध्य प्रदेश सूचना आयोग के 3 पत्र देख रहे हैं। अब क्रम से तीनों के विषय में संक्षिप्त में आपको बताते हैं:-
प्रमोद केवट बरवाहा
आवश्यक_सूचना👇
- विगत वर्ष जुलाई में नगर परिषद निवाड़ी में सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के तहत जानकारी चाही गई थी।
चूंकि अपील के बाद सम्बन्धित कार्यालय ने जानकारी दी थी, जो कि अधिनियम के अनुसार नही थी और समझने योग्य नही थी।
जिसकी शिकायत आयोग में की थी और आयोग ने आगामी 8 तारीख को सुनवाई रखी हैं।
- खाद्य विभाग निवाड़ी द्वारा भी जानकारी को छुपाया गया था, जिसकी शिकायत की गई थी। आप सबको विदित हैं ही कि जिले में 33 करोड़ का राशन गायब किया गया था। जिस समय की जानकारी चाही गई थी, उस दौरान 4 लोगों पर FIR और लगभग 55 लाख रुपए की वसूली की कार्यवाही हुई थी। जबकि कार्यालय ने यह जानकारी नही दी थी।
- नगर परिषद ओरछा ने तो एक ही विकास कार्य को 2-2 जगह दिखाया था और मौके पर उससे भी ज्यादा राशि का काम होना पाया गया था। मतलब आप को याद होगा कि ओरछा में एक मात्र मुक्तिधाम हैं, जबकि नगर परिषद ने 2 अलग अलग जगहों पर मुक्तिधाम दिखाया था। इससे आगे और भी बहुत कुछ हैं।
इस प्रकार व्यापक लोक हित की जानकारी को छिपाना नियमानुसार गलत हैं। इसमें आयोग चाहें तो संबंधित जनों पर भारतीय साक्ष्य अधिनियम की विभिन्न धाराओं में प्राथमिकी दर्ज करवा सकता है, विभागीय कार्यवाही के लिए लिख सकता है और जुर्माना भी लगा सकता है।
ये तीनों ही मामले बहुत ही रोचक हैं।