बीस राज्यों के 145 मास्टर ट्रेनर्स ने लिया हिस्सा.
जबलपुर
केंद्र शासन के पंचायती राज मंत्रालय द्वारा पेसा एक्ट अन्तर्गत साहूकारी प्रथा पर नियंत्रण तथा वनाधिकारी अधिनियम विषय पर राज्य स्तरीय मास्टर ट्रेनर्स की दो दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला आज बुधवार को महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज संस्थान में संपन्न हुई।
राष्ट्रीय स्तर की इस कार्यशाला के समापन पर संयुक्त सचिव पंचायती राज मंत्रालय विकास आनंद, निदेशक जनजातीय कार्य मंत्रालय समिधा सिंह, संचालक पंचायत राज संचालनालय भोपाल मनोज पुष्प, उप सचिव पंचायती राज मंत्रालय भारत सरकार अरूण मिश्रा, अतिरिक्त संचालक पंचायत राज संचालनालय भोपाल प्रद्युम्न शर्मा, संचालक आदिवासी विकास मध्यप्रदेश वंदना वैद्य, संचालक महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास एवं पंचायतराज संस्थान म.प्र के.बी. मालवीय उपस्थित रहे।
कार्यशाला के समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सयुंक्त सचिव पंचायती राज मंत्रालय श्री विकास आनंद ने कहा कि प्रभावी प्रशिक्षण की आवश्यकता एवं इसके लिये शासन के द्वारा किये जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला और कहा कि हमारे प्रयास तभी सफल माने जायेंगे जब अनुसूचित क्षेत्र के निवासियों को उनका हक मिले। इस कार्य में प्रशिक्षण की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कार्यशाला की सफलता पर आयोजकों को बधाई दी ।
कार्यशाला में अधिकारियों तथा राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर के प्रशिक्षकों ने पंचायत उपबंध अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार अधिनियम 1996 के अन्तर्गत अनुसूचित क्षेत्रों में ‘साहूकारी प्रथा पर नियंत्रण’ एवं ‘अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम विषय पर 20 राज्यों के 145 मास्टर ट्रेनर्स प्रतिभागियों को विस्तार से प्रशिक्षण दिया गया। साथ ही प्रशिक्षकों द्वारा अनुसूचित क्षेत्रों में “साहूकारी प्रथा पर नियंत्रण” मैनुअल परिचय पेसा अधिनियम के प्रमुख प्रावधान, साहूकारी प्रथा, वनाधिकार अधिनियम, ग्राम सभाओं की मजबूती पर दो दिवसों तक अलग अलग सत्रों के माध्यम से गहन समझ विकसित की गई।
कार्यशाला में प्रशिक्षकों में उपायुक्त विकास डॉ सुधीर जैन, संयुक्त सचिव (सेवानिवृत) एसबी पाटिल, प्रो एबी ओटा, गिरिराव, मिलिंद थाटे, संजय राजपूत, सुव्रता सिंह ने सहभागी तरीकों से प्रशिक्षण प्रदान किया। ताकि राज्य, जिला, विकासखंड एवं ग्राम पंचायत स्तर तक प्रभावी एवं सरलता से प्रशिक्षणों का आयोजन किया जा सके और सभी क्षेत्रों में वांछित परिणाम देखे जा सके।