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Saturday, June 21, 2025

: राक्षसो का नरसंहार करने के लिए मां स्वयं हुई अबतरित्त

विश्व में सिद्ध पीठ मां चंद्रघंटा का प्राचीन मंदिर प्रयागराज:

भारत में शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन दुर्गा माता के तीसरे स्वरुप मां चंद्रघंटा का पूजन किया जाता है l मां का यह रुप कल्याणकारी और शांति प्रदान करने वाला माना गया है l दुर्गा मां की आराधना का विशेष समय होता है l नवरात्रि के नौ दिनों में मां के विभिन्न नौ स्वरुपों का ध्यान कर पूजन किया जाता है l धार्मिक मान्यता है कि जो भी नवरात्रि के नौ दिनों में पूरी श्रध्दा से माता का ध्यान कर विधि-विधान से पूजन करता है, माता उनके सभी कष्टों का निवारण कर देती हैं l नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा का पूजन किया जाता है l मां का ये स्वरुप शांति प्रदान करने वाला और कल्याणकारी माना गया है l पौराणिक कथाओं के अनुसार मां भगवती ने असुरों का संहार करने के लिए इस रुप को धारण किया था l मां का नाम चंद्रघंटा इसलिए पड़ा क्योंकि उनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र बना हुआ है l मां का स्वरुप अलौकिक है l उनका शरीर स्वर्ण के समान दमकता है l मां चंद्रघंटा की दस भुजाएं हैं, जिनमेंअस्त्र-शस्त्र सुशोभित हैं l सिंह मां चंद्रघंटा की सवारी है l
प्रयागराज में है मां चंद्रघंटा का मंदिर……
नवरात्रि के तीसरे दिन अगर मां चंद्रघंटा के मंदिर में दर्शन करने का अवसर मिले तो चूकें नहीं, मां का प्रसिद्ध मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में स्थित है l यह मंदिर चौक में स्थित है जो कि प्रयागराज का काफी व्यस्त इलाका माना जाता है l यह मां क्षेमा माई का बेहद प्राचीन मंदिर है l कहते हैं कि पुराणों में इस मंदिर का विशेष तौर पर उल्लेख किया गया है l यहीं मां दुर्गा देवी चंद्रघंटा स्वरुप में विराजित हैं l
मां चंद्रघंटा की जन्म कथा.
पौराणिक कथा के अनुसार, राक्षस महिषासुर ने अपनी शक्तियों के घमंड में देलोक पर आक्रमण कर दिया। तब महिषासुर और देवताओं के हीच घमासान युद्ध हुआ। जब देवता हारने लगे तो वह त्रिदेव के पास मदद के लिए पहुंचे। उनकी कहानी सुन त्रिदेव को गुस्सा आ गया, जिससे मां चंद्रघंटा का जन्म हुआ। भगवान शंकर ने माता को अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने चक्र, देवराज इंद्र ने घंटा, सूर्य ने तेज तलवार और सवारी के लिए सिंह प्रदान किया। इसी प्रकार अन्य देवी देवताओं ने भी माता को अस्त्र दिए, जिसके बाद उन्होंने राक्षस का वध किया। देवी पुराण के अनुसार, जब भगवान शिव राजा हिमवान के महल में पार्वती से शादी करने पहुंचे तो वे बालों में कई सांप, भूत, ऋषि, भूत, भूत, अघोरी और तपस्वियों की एक अजीब शादी के जुलूस के साथ एक भयानक रूप में आए। यह देख पार्वती की मां मैना देवी बेहोश हो गईं। तब पार्वती ने देवी चंद्रघंटा का रूप धारण किया और दोनों ने शादी हो गई l

सुंदरलाल बर्मनhttps://majholidarpan.com/
Sundar Lal barman (41 years) is the editor of MajholiDarpan.com. He has approximately 10 years of experience in the publishing and newspaper business and has been a part of the organization for the same number of years. He is responsible for our long-term vision and monitoring our Company’s performance and devising the overall business plans. Under his Dynamic leadership with a clear future vision, the company has progressed to become one of Hindi e-newspaper , with Jabalpur district.

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