मध्यप्रदेश में 2023 के अंतिम महीनों में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर मध्यप्रदेश के प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस ने जातिगत समीकरण को लेकर अभी से अपने अपने वोटों की जुगाड़ कैसे हो इसके लिए कार्यक्रम और संगठन स्तर पर तैयारियां कर दी हैं
✍🏾 अमर नोरिया ( पत्रकार)
नरसिंहपुर
इसी कड़ी में गत दिनों प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जहां मछुआरा प्रकोष्ठ के लोगों को अपने निवास पर बुलाकर मेलजोल किया और माझी मछुआरों की समस्याओं को लेकर चर्चा की ऐसी जानकारी मिली थी तो कांग्रेस भी प्रदेश में माझियों के बड़े वोट बैंक के चलते माझियों के प्रमुख मुद्दे और समस्याओं को लेकर नये वर्ष के प्रारंभ होते ही माझी समाज के साथ एक बड़ी बैठक कर अपनी चुनावी रणनीति की शुरुआत कर रही है । ऐसे में महत्वपूर्ण यह है कि राजनीतिक दलों के लिए काम करने वाले भाजपा और कांग्रेस के जो माझी समाज के नेता है उनके लिये अब अपने अपने राजनीतिक दलों में यह जिम्मेदारी बढ़ गई है कि वह अब अपने अपने राजनीतिक दलों के संगठनों में बतौर पदाधिकारी हैं उसके साथ जिन सामाजिक संगठनों का प्रदेश और जिला स्तर पर प्रतिनिधित्व कर रहे वह सब जब माझी समाज के मुद्दों और समस्याओं को लेकर आने वाले समय मे जो बात सामने आयेगी और वही मुद्दों व समस्याओं को सामाजिक समीकरणों के चलते सत्ता में बैठी भाजपा कितना समर्थन और सहयोग कर निराकरण करती है और विपक्ष के तौर पर कांग्रेस कितना निराकरण करने की दिशा में आश्वस्त करती है इसको लेकर ही समाज में बड़ा संदेश जायेगा । संवेधानिक हक और अधिकार सहित वंशानुगत रोजगार के लिए मध्यप्रदेश में माझी समाज के लिये 2023 का वर्ष महत्वपूर्ण वर्ष है वह इसलिए क्योंकि 1992 से लगातार लंबा संघर्ष कर रहा माझी समाज और माझी समाज का नेतृत्व करने वाले इस पूरे वर्ष में समाज के जो आरक्षण सहित अन्य प्रमुख मुद्दे और समस्याएं हैं इसको लेकर अपने अपने राजनीतिक दलों में प्रखरता व प्रमुखता के साथ समाज का पक्ष सर्वोपरि रखते हैं या फिर सत्ताधारी और विपक्षी नेताओं के साथ सौजन्य भेंट और मेलमिलाप तक ही सीमित रहेगी यह सब इसी 2023 के आनेवाले समय मे सामने आयेगा ।