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Jabalpur
Friday, June 20, 2025

जिले में उर्वरक की कोई कमी नहीं

जबलपुर जिले में पर्याप्त मात्रा में उर्वरक का स्टॉक है और किसानों को उनकी मांग के अनुरूप में अनुरूप पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध भी कराया जा रहा है।  

जबलपुर

उपसंचालक किसान कल्याण एवं कृषि विकास रवि आम्रवंशी ने यह जानकारी देते हुये बताया कि जिले में यूरिया 6 हजार 137.546 मेट्रिक टन, डीएपी का 1हजार 877.1 मेट्रिक टन, एनपीकेएस का 2 हजार 122.475 .टन, म्यूरेट ऑफ पोटाश 227.15 मेट्रिक टन एवं सुपर फास्फेट 6 हजार 588.2 मेट्रिक टन का भण्डारण है । साथ ही कृषकों को उनकी मांग अनुसार उर्वरक कृषक की जोत सीमा के आधार पर उपलब्ध कराया जा रहा है।

श्री आम्रवंशी ने बताया कि प्रायः किसान डीएपी एवं यूरिया का बहुतायत से प्रयोग करते हैं । डीएपी की बढ़ती मांग एवं ऊंची दर के कारण कृषकों को कई बार समस्या का सामना करना पडता है । उन्होंने किसानों को कम्पोजिट उर्वरक के इस्तेमाल की सलाह देते हुये बताया कि डीएपी से केवल नत्रजन एवं स्फुर की आपूर्ति होती है जबकि कम्पोजिट उर्वरक एनपीकेएस से नत्रजन, स्फुर, पोटाश एवं सल्फर की पूर्ति होती है जो फसलों के लिये ज्यादा लाभकारी है । डीएपी के स्थान पर कृषक यदि सिंगल सुपर फास्फेट, एनपीके (12:32:16), एनपीके (15:15:15), एनपीके (20:20:0:13) एवं एनपीके (16:16:16) का उपयोग करें तो उन्हें आर्थिक लाभ के साथ अधिक उत्पादन उच्च गुणवत्ता का प्राप्त हो सकेगा। क्योंकि पोटाश के कारण फसल ज्यादा स्वस्थ रहेगी एवं कीटव्याधि के प्रति सहनशीलता बढती है । साथ ही फसल का उत्पाद चमकदार एवं उत्तम गुणवत्ता का होता है।

उपसंचालक किसान कल्याण एवं कृषि विकास ने बताया कि एनपीकेएस के रूप में उर्वरक का उपयोग करने पर होने वाले फायदे को भी कृषकों तक पहुँचाया जा रहा है । डीएपी के स्थान पर एनपीकेएस उर्वरक उपयोग करने हेतु लगातार प्रचार प्रसार कर किसानों से अनुरोध भी किया जा रहा है, ताकि फसलों में संतुलित उर्वरक की आपूर्ति होकर अधिक उत्पादन एवं आनाज की उत्तम गुणवत्ता प्राप्त हो सके।

पर्याप्‍त मात्रा में उपलब्‍ध हैं यूरिया और डीएपी:-

जिले के कृषकों द्वारा संतुलित उर्वरक एनपीके के रूप में जो उठाव किया गया है। उससे कृषकों का रूझान एनपीके के उपयोग करने में बढ़ता नजर आ रहा है। किसानों द्वारा अभी तक जिले में विभिन्न कंपनियों के एनपीके उर्वरक 1 हजार 728.65 मेट्रिक टन का उपयोग किया गया है । जबकि विगत वर्ष पूरे रबी सीजन में 3 हजार 562.65 मी.टन एनपीके का उपयोग हुआ था । कृषकों को निर्धारित दर पर एवं मानक स्तर का उर्वरक प्राप्त हो सके इसके लिये विभिन्न दल बनाकर निरंतर निगरानी रखी जा रही है।

तरल नैनो से बीज उपचार की सलाह :-

उपसंचालक किसान कल्याण एवं कृषि विकास ने ज्यादा उत्पादन लेने के लिये किसानों को पाँच मिली लीटर तरल नैनो डीएपी से एक किलोग्राम बीजों को उपचारित कर 30 मिनट तक छाया में सुखाने के बाद बुवाई करने की सलाह भी दी है । उन्होंने बताया कि तरल नैनो डीएपी की पाँच सौ मिली लीटर की बॉटल सड़ 100 किलो ग्राम गेहूँ का बीज उपचारित किया जा सकता है। इससे दानेदार डीएपी के उपयोग में 50 फीसदी की कमी की जा सकती है।

सुंदरलाल बर्मनhttps://majholidarpan.com/
Sundar Lal barman (41 years) is the editor of MajholiDarpan.com. He has approximately 10 years of experience in the publishing and newspaper business and has been a part of the organization for the same number of years. He is responsible for our long-term vision and monitoring our Company’s performance and devising the overall business plans. Under his Dynamic leadership with a clear future vision, the company has progressed to become one of Hindi e-newspaper , with Jabalpur district.

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