वातावरण में सुबह शाम हल्की सिहरन है शीत ऋतू का आगमन हो चुका है इसके साथ ही काशी में प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो गया है
वाराणसी
गंगा की लहरों से अठखेलियाँ करता इनका झुंड बहुत ही सुंदर लगता है
भोजन की तलाश में हजारों किलोमीटर का सफर तय कर वाराणसी और प्रयागराज आने वाले इन पक्षियों के विषय मे कुछ जानकारी
इन सफेद पक्षियों को साइबेरियन सारस कहते हैं।
साइबेरियन क्रेन एक दुर्लभ प्रजाति है जो कि रुस के साइबेरिया में पाए जाते हैं। साइबेरिया के पूर्व में रहने वाले सारस चीन की तरफ प्रवास करता है, पश्चिमी साइबेरिया में रहने वाले सारस ईरान की तरफ और मध्य साइबेरियन क्रेन भारत की ओर प्रवास करते हैं।
ये सारस प्रतिदिन 500 किमी की यात्रा 50 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से तय करते हैं।
साइबेरिया से उड़ते हुए ये अफगानिस्तान और मध्य एशिया और हिमालय पर्वत को पार करते हुए 26 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ते हैं और अक्टूबर के महीने में भरतपुर राजस्थान पहुंचते हैं।
ये सारस पक्षी अपना ठिकाना दलदली भूमि पर , नदियों के किनारे बनाते हैं जहां इन्हे पर्याप्त भोजन मिलता है।
भरतपुर के बाद ये अपना पड़ाव वाराणसी और प्रयागराज में गंगा नदी में बनाते हैं। वहां सर्दी के खत्म होने तक रुकते हैं फिर वापस अपने देश साइबेरिया लौट जाते हैं।
प्रवास की वजह- साइबेरिया में बहुत ठंड पड़ती है तब इनके भोजन समाप्त हो जाते हैं। तब ये अपने भोजन की खोज में जैसे गर्म देश में आ जाते हैं।