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Friday, June 20, 2025

वाराणसी में फैला है मौत के सौदागरों का जाल

मरीजों की जा रही जान निजी अस्पतालों में इलाज के नाम पर लूट जारी

वाराणसी 

सरकारी अस्पतालों में फैला है निजी अस्पतालों के दलालों का मकड़जाल

पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में निजी अस्पतालों में मरीजों को बेहतर इलाज दिलाने के नाम पर खुलेआम लूट-खसोट की जा रही है। यहां मौत के सौदागर कमीशन के बदले खुलेआम मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इन दलालों का जाल शहर के सरकारी अस्पतालों में बहुत ही अंदर तक फैला हुआ है। सरकारी अस्पतालों से ही निजी नर्सिंग होम एवं पैथालॉजी सेंटर के दलाल मरीजोंं को बहकाकर अपने साथ ले जाते हैं, उसके बदले मिलने वाला कमीशन लेकर भूल जाते हैं। यह खेल पूरे प्रदेश में चल रहा है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग एवं प्रशासन के अधिकारी दलालों पर अंकुश नहीं लगा पा रहे हैं। जबकि प्रदेश सरकार ने हर आम और खास नागरिकों के लिए सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त एवं विशिष्ट सेवाएं मुहैया कराई हैं। प्रतिदिन हजारों लोग इन सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने आते है, जिनमें अधिकतर गरीब और कम पढ़े लिखे लोग शामिल होते हैं। इसी वजह से निजी नर्सिंग होम के दलालों की नजर कम पढ़े-लिखे और गरीब लोगों पर ही रहती है। वही आसानी से शिकार बनते हैं।

पूर्वांचल और बिहार से आने वाले मरीजो की सबसे बड़ी उम्मीद बीएचयू दलालों का गढ़ बन गया है। यहां रोजाना लगभग 5 हजार मरीज आते हैं, जिसमें औसतन 90 प्रतिशत मरीज गरीब होते हैं। इन मरीजों में बहुत से अशिक्षित भी होते हैं। इसलिए जब बीएचयू के जूनियर डॉक्टर मरीजों और तीमारदारों से तीखी भाषा मे बातें करते हैं तो उन्हें बहुत बुरा लगता है। इसी बीच वहां मौजूद दलाल मरीजों और तीमारदारों के शुभचिंतक बनकर आते हैं, वे उनको अपनी चिकनी-चुपड़ी बातों में उलझाकर निजी अस्पताल जाने के लिए तैयार करते हैं। उसके बाद तत्काल निजी नर्सिंग होम की एंबुलेंस आती है, जो मरीज को अस्पताल ले जाती है। यहां मरीज के भर्ती होने तक काफी ध्यान रखा जाता है, लेकिन भर्ती होने के बाद मरीज और तीमारदार को केवल आश्वासन ही मिलता है। उसकेे अलावा यदि कुछ मिलता है तो दवाओं के खर्च का मोटा बिल और जल्द अस्पताल से छुट्टी मिलने का आश्वासन। जबकि बीएचयू के चिकित्सक चाहें तो दलालों पर अंकुश लगा सकते हैं, लेकिन निजी पैथॉलॉजी सेंटर और मेडिकल स्टोर से मिलने वाले मोटे कमीशन के चक्कर में जिम्मेदार लोग सब कुछ जानकर भी अंजान बने रहते हैं। सूत्रों की मानें तो तो कई स्त्री रोग विशेषज्ञ मरीजों को ऑपरेशन करवाने के लिए अपना रिफरेंस देकर निजी अस्पताल में भेजते हैं। ये डॉक्टर खुद भी मेहनताना लेकर चोरी-छिपे निजी अस्पतालों में अपनी सेवाएं देेते हैं।

मंडलीय अस्पताल कबीरचौरा में दूर-दराज से सैकड़ों मरीज इलाज कराने आते हैं। यहां रोजाना हजारो मरीज आते हैं। इसलिए अस्पताल परिसर में पर्चा काउंटर के बाहर शहर के निजी अस्पतालों के दलाल डेरा जमाये रहते हैं जो पर्चा बनवाने की आड़ में मरीजों से जान पहचान बनाकर उन्हें निजी नर्सिंग होम और अस्पताल में अच्छे इलाज का सब्जबाग दिखाते हैं। उसके बाद मामला तय हो जाने पर निजी अस्पताल तक मरीज को पहुंचाकर और अपना कमीशन लेकर रफूचक्कर हो जाते हैं। वहीं निजी अस्पताल कमीशनखोरी के चक्कर में अस्पताल पुहंचने वाले ऐसे मरीजों से इलाज के नाम पर जमकर लूट-खसोट करते हैं। उन्हें मरीज की आर्थिक स्थिति से कोई मतलब नहीं होता है। कई बार तो मरीजों की मौत भी हो जाती है, लेकिन अस्पताल संचालक इलाज का बिल वसूले बिना डेड बॉडी भी नहीं देते हैं। दलालों को इन सब बातों से कोई सरोकार नही होता है। उन्हें केवल निजी अस्पताल से प्रति मरीज मिलने वाले 500 से लेकर 2000 रुपए तक के कमीशन की चिंता रहती है। हालांकि कई निजी अस्पतालों में यह कमीशन मरीज की बीमारी पर तय होता है। जितनी बड़ी बीमारी का मरीज आता है, उतना ही बड़ा कमीशन तय होता है। इसलिए सरकारी अस्पतालों में घूमने वाले दलाल गंभीर बीमारी के मरीजों को ही फांसने की जुगत में लगे रहते हैं।

सभी सरकारी अस्पतालों की पार्किंग स्टैंड से भी यह काला धंधा चलाया जाता है। बीएचयू के पार्किंग स्टैंड पर आसपास के निजी अस्पतालों के डॉक्टर व एजेंट अक्सर आते रहते है जो कि स्टैंड मालिकों और नौकरों से कहते है कि दिन भर में छह से सात मरीज हमारे अस्पताल भी भेज दिया करो, ताकि हमारी और तुम्हारी रोजी-रोटी अच्छी तरह चल सके। ये लोग मरीज भेजने वाले पार्किंग स्टैंड के कर्मचारियों को प्रति मरीज 500-1000 रुपये तक देते हैं। यह धंधा उस वक्त और बड़ा हो जाता है जब किसी मरीज को खून की जरूरत होती है। स्टैंड वाले परेशान मरीजों को खून दिलवाकर हजारों रुपये भी कमा लेते हैं।

महिला चिकित्सालय एवं प्रसूति गृह में आई प्रसूताओं को परिसर में मौजूद दलाल अच्छे इलाज का झांसा देकर फंसा लेते हैं। इन मरीजों को बहला-फुसलाकर निजी नर्सिंग होम में ले जाया जाता है। सूत्रों केअनुसार निजी नर्सिंग होम में प्रसूताओं को ऑपरेशन के माध्यम से अच्छा व आराम दायक प्रसव कराने की बात कहकर बरगलाया जाता है, इसकी एवज में मरीजों से मोटी रकम ली जाती है।

दलाल मरीजों को झांसा देकर निजी अस्पताल ले जाते हैं लेकिन उसका निष्कर्ष यह होता है कि मरीज की हैसियत से बढ़ कर बिल तैयार हो जाता है, जिसके बाद निजी अस्पताल वाले मरीज की मौत के बाद भी लाश तब तक नहीं देते जब तक उनके पैसे वसूल नहीं हो जाते हैं। इसका उदाहरण मकबूल आलम रोड, भोजूबीर, लंका के कई निजी अस्पताल है। यहां मरीजों की मौत का मामला सामने आने के बाद तीमारदारों की तरफ से आरोप लगाये जा चुके हैं कि लाश को आईसीयू में वेंटिलेटर पर पैसे बढ़ाने के लिए रखा गया था, और इसको लेकर कई बार मारपीट और हंगामा भी हो चुका है। इन सबके बावजूद सरकारी तंत्र वाराणसी में मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। वह दलालों के सामने बौना साबित हो रहा है।

सरकारी अस्पतालों के ब्लड बैंक और पैथालॉजी सेंटर के इर्द-गिर्द दलाल डॉक्टर के कमरे से लेकर जनरल व इमरजेंसी वार्ड तक में अपना जाल फैलाए रहते हैं। मरीज ज्यों ही डॉक्टर को दिखाकर ओपीडी से बाहर निकलता है और बाहर से लिखी जांच या दवा के बारे में आस-पास के लोगों से पूछना शुरू करता है, उसे परिसर में मौजूद दलाल तुरंत अपना शिकार बनाने की जुगत में लग जाते हैं। दलाल मरीजों को बताते हैं कि अस्पताल की मशीन खराब है, बाहर जांच करवा लो बेहतर रहेगा क्योंकि रिपोर्ट भी आज ही मिल जायेगी। उससे तुम्हें आज ही रिपोर्ट के मुताबिक दवा भी मिल जायेगी। इन दलालों का जमावड़ा रैन बसेरे में भी रहता है। वहां ठहरने वाले तीमारदारों को बहला-फुसलाकर मरीज को निजी अस्पताल में भर्ती करने के लिए तैयार किया जाता है। यहां दलाल 20 प्रतिशत लोगों को फुसलाने में सफल हो जाते हैं। मरीज के बेहतर इलाज और बेहतरीन सुविधाओ की मृग मरीचिका में फंसे मरीज के प्रियजन निजी अस्पताल मकड़जाल में फंस हांफते रहते है और लाखों का चूना लगता है अलग से, अब इस सारे खेल को सत्ता में बैठे हुक्मरान कैसे देख रहे है और कोई प्रभावी कार्यवाही क्यो नही हो रही है ये यक्ष प्रश्न बना हुआ है।

सुंदरलाल बर्मनhttps://majholidarpan.com/
Sundar Lal barman (41 years) is the editor of MajholiDarpan.com. He has approximately 10 years of experience in the publishing and newspaper business and has been a part of the organization for the same number of years. He is responsible for our long-term vision and monitoring our Company’s performance and devising the overall business plans. Under his Dynamic leadership with a clear future vision, the company has progressed to become one of Hindi e-newspaper , with Jabalpur district.

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