मध्य प्रदेश की बहुचर्चित नर्मदा नल जल योजना, जो सरकार द्वारा “हर घर जल” के वादे के साथ चलाई जा रही है, वह मझोली नगर परिषद में अधिकारियों की मिलीभगत और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती नज़र आ रही है।
मझोली (जबलपुर), 3 अक्टूबर 2025
नगर के वार्ड क्रमांक 5 में बीते 47 दिनों से जलापूर्ति पूरी तरह ठप है। नलों में एक बूंद पानी नहीं आ रहा, जबकि योजना के तहत कनेक्शन सभी घरों में दिया गया है।
स्थानीय निवासी विमल भट्ट ने इस समस्या के समाधान हेतु पहले नगर परिषद कार्यालय में शिकायत की और बाद में 181 जनसुनवाई पोर्टल पर भी आवेदन डाला। लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि नगर परिषद में पदस्थ कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों ने दबाव बनाकर शिकायत बंद करवा दी।
यह मामला सिर्फ पानी की आपूर्ति का नहीं, बल्कि लोकतंत्र की आवाज को दबाने और जनता के अधिकारों के हनन का है।
विमल भट्ट ने सीधे आरोप:लगाते हुए कहा कि “नगर परिषद कार्यालय में बैठे कुछ कर्मचारी जनता की नहीं, अपने निजी हितों की सेवा में लगे हैं। सरकार की योजनाएं इनकी लापरवाही और भ्रष्ट रवैये की वजह से कागज़ों तक सीमित रह गई हैं।”
1. वार्ड 5 में 47 दिनों से पानी क्यों बंद है?
2. शिकायतकर्ता पर दबाव क्यों डाला गया?
3. 181 जनसुनवाई पोर्टल की गरिमा को यूँ रौंदने वाले अधिकारी आज़ाद क्यों घूम रहे हैं?
4. क्या नर्मदा जल योजना में घोटाला हुआ है?
5. जनता के टैक्स से वेतन पाने वाले अधिकारी, आखिर किसके इशारे पर काम कर रहे हैं?
नल हैं, पर जल नहीं — और अधिकारी हैं, पर जवाबदेही नहीं”