छापामार कार्यवाही से बचने फर्म में नहीं लगाते बोर्ड, कोई बोलने वाला और न ही कोई पूछने वाला
सतना,(ओपी तीसरे)।
सतना शहर के इंडस्ट्रियल एरिया में ऐसी कई फर्में संचालित हैं जो पूरी तरह से बेनाम होती हैं। यह तथ्य ‘साहब सलाम विन्ध्य टीम’ द्वारा किए गए ‘एक सर्वे’ में सामने आया है। जो भी हो फिलहाल सनसनीखेज किस्म के इस मामले में प्रशासनिक अमले की खामोशी सवालों के घेरे में है। रीवा रोड स्थित इंडस्ट्रियल एरिया में इक्का-दुक्का छोड़ ज्यादातर ऐसे औधौगिक संस्थान संचालित मिले जो बेनाम रहे। कमोवेश यही हाल रीवा-मैहर बायपास में संचालित औधौगिक संस्थानों में भी देखने को मिला। ऐसे में यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि किस संस्थान में कौन सा काम संचालित हो रहा है। इसके पीछे छुपे राज की वजह जानने की जब कोशिश की गई तो यह बात खुलकर सामने आई कि व्यापारी अपने संस्थानों को सिर्फ इसलिए बेनाम रखते हैं ताकि वे प्रशासनिक स्तर पर होने वाली छापामार कार्यवाही से बच सकें। नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर कुछ व्यापारियों ने बताया कि ऐसे बेनाम किस्म के फर्म संचालकों को स्थानीय स्तर के आला-अफसरों का बराबर संरक्षण प्राप्त होता है। यही वजह है कि शहर के अंदर बेनामी फर्मों का डंका बज रहा है। जानकार सूत्रों की मानें तो इस मामले में जिम्मेवार विभाग के आला-अफसर ऐसे संस्थान के संचालकों से बतौर नज़राना एक मुश्त रकम वसूलते हैं और व्यापारियों के अवैधानिक कृत्यों का बेशर्मी के साथ तमाशा देखते हैं। शहर के जागरूक लोगों ने कलेक्टर अनुराग वर्मा से शहर के अंदर संचालित बेनामी फर्म संचालकों के खिलाफ कार्यवाही की अपेक्षा की है। साथ ही उन्हें अपनी फर्मों के नाम का बोर्ड प्राथमिकता से सामने लगाने के संदर्भ में विशेष दिशा-निर्देश जारी करने की भी बात कही है।