प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 11 अक्टूबर को उज्जैन में ज्योतिर्लिंग श्री महाकालेश्वर मंदिर में दर्शनार्थियों की सुविधा विस्तार और सौंदर्यीकरण के निमित्त नवनिर्मित श्री महाकाल लोक के प्रथम चरण का लोकार्पण करेंगे।
जबलपुर
श्री महाकाल लोक का कार्यक्रम उज्जैन सहित संपूर्ण प्रदेश के लिए गौरव का दिन होगा। इस भव्य व दिव्य लोकार्पण समारोह का साक्षी जबलपुर संभाग के सभी जिले साक्षी होंगे। जहां ऐतिहासिक व बड़े मंदिरों में यह कार्यक्रम आयोजित होगा। इस कार्यक्रम का जिले के बड़े मंदिरों में सायं 5:00 से सीधा प्रसारण किया जाएगा। जिससे आमजन इस भव्य और गौरवपूर्ण कार्यक्रम के सहभागी बन सकेंगे। श्रद्धा, आस्था, भक्ति, उल्लास और उमंग से सरोबार इस अभूतपूर्व आयोजन के लिए संभाग के जिलों में मंदिरों का चयन कर लिया गया है। बड़े मंदिरों में कार्यक्रम के सीधे प्रसारण की व्यवस्था की जाएगी इस कार्यक्रम को जिले में श्रद्धा आस्था और भक्ति पूर्ण माहौल में मनाया जाएगा ।दीपमाला एवं दीपोत्सव का आयोजन होगा। जन सहयोग और मंदिर प्रबंधन समिति की मदद से मंदिरों में आकर्षक विद्युत साज-सज्जा होगी ।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 11 अक्टूबर को उज्जैन में ज्योतिर्लिंग श्री महाकालेश्वर मंदिर में दर्शनार्थियों की सुविधा विस्तार और सौंदर्यीकरण के निमित्त नवनिर्मित श्री महाकाल लोक के प्रथम चरण का लोकार्पण करेंगे। श्री महाकाल लोक का कार्यक्रम उज्जैन सहित संपूर्ण प्रदेश के लिए गौरव का दिन होगा। इस भव्य व दिव्य लोकार्पण समारोह का साक्षी जबलपुर संभाग के सभी जिले साक्षी होंगे। जहां ऐतिहासिक व बड़े मंदिरों में यह कार्यक्रम आयोजित होगा। इस कार्यक्रम का जिले के बड़े मंदिरों में सायं 5:00 से सीधा प्रसारण किया जाएगा। जिससे आमजन इस भव्य और गौरवपूर्ण कार्यक्रम के सहभागी बन सकेंगे। श्रद्धा, आस्था, भक्ति, उल्लास और उमंग से सरोबार इस अभूतपूर्व आयोजन के लिए संभाग के जिलों में मंदिरों का चयन कर लिया गया है। बड़े मंदिरों में कार्यक्रम के सीधे प्रसारण की व्यवस्था की जाएगी इस कार्यक्रम को जिले में श्रद्धा आस्था और भक्ति पूर्ण माहौल में मनाया जाएगा ।दीपमाला एवं दीपोत्सव का आयोजन होगा। जन सहयोग और मंदिर प्रबंधन समिति की मदद से मंदिरों में आकर्षक विद्युत साज-सज्जा होगी । मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने नागरिकों से 11 अक्टूबर की शाम अपने अपने घरों में भगवान महाकाल के नाम एक दीपक जलाकर इस पुनीत कार्य में सहभागी बनने की अपील की है।
नवनिर्मित श्री महाकाल लोग युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति और धर्म व अध्यात्म से रूबरू कराएगा। इसी तारतम्य में जबलपुर जिले के प्रमुख मंदिरों में कार्यक्रम का आयोजन होगा। ग्वारीघाट में बड़ा व भव्य कार्यक्रम आयोजित करने की कार्ययोजना है इस संबंध 10 अक्टूबर को 2 बजे कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी की अध्यक्षता में पुजारियों की बैठक आयोजित की है। मुख्य रूप से जिले के सिद्ध बाबा मंदिर लाल माटी रांझी, शारदा मंदिर सिद्ध बाबा पहाड़ी, काली मंदिर शोभापुर फाटक रांझी, काली मंदिर करिया पाथर तहसील रांझी, पाटबाबा मंदिर, सांई मंदिर सिविल लाईन, व्हीकल मोड़ हनुमान मंदिर, कृष्ण मंदिर बड़ा पत्थर। बड़ी खेरमाई मंदिर, बूड़ी खेरमाई मंदिर, जैन मंदिर, अमृत तीर्थ जैन मंदिर, लार्डगंज जैन मंदिर कमानिया गेट, बड़ा महावीर मंदिर खोवा मंडी, आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर मालवीय चौक शिवनगर जैन मंदिर, कचनार सिटी, सांई मंदिर टेलीग्राफ गेट नं. 4, हनुमान मंदिर टेलीग्राफ गेट नं. 2, मां बगुलामुखी मंदिर गोरखपुर, रामायण मंदिर सूपाताल। कुंडम में खेरमाई मंदिर, कुण्डेश्वर धाम, राधाकृष्ण मंदिर, कंकाली मंदिर टिकरिया। इसी प्रकार तहसील शहपुरा में- बेहरू माता मंदिर, हनुमान मंदिर, पवई, सहजपुर, आदिनाथ शिवमंदिर गोसलपुर आदि को चिन्हित किया गया है।
छिंदवाड़ा के 17 सार्वजनिक मंदिरों पातालेश्वर मंदिर छिन्दवाड़ा, भगवान नीलकंठी मंदिर चांद, षष्ठी माता मंदिर कपुर्दा, शंकर वन मंदिर कुरई बिछुआ, जाम सांवली मंदिर जाम सांवली, अर्ध्दनारीश्वर मंदिर मोहगांव हवेली, भवानी माता मंदिर सावरगांव, हिंगलाज मंदिर अम्बाड़ा, खेड़ापति मंदिर चांदामेटा, शिव मंदिर परासिया, साईमंदिर परासिया, हनुमान मंदिर कोसमी, महावीर मंदिर उमरेठ, खेड़ापति मंदिर हर्रई, श्रीराम जानकी मंदिर हरई, शंकर भगवान मंदिर पहली पायरी जुन्नारदेव विशाला और शिव मंदिर गरमेटा अमरवाड़ा में मंदिर प्रबंधन समितियों के सहयोग से जिला/स्थानीय प्रशासन व्दारा वृहद कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा । डिंडौरी में कुकर्रा मठ में स्थित प्रसिद्ध ऐतिहासिक मंदिर के साथ अन्य बड़े मंदिरों में भी कार्यक्रम होंगे।
बालाघाट जिले में भी ऐतिहासिक व प्रसिद्ध मंदिरों का चयन किया गया है जिसमें तहसील लांजी में स्थित कोटेश्वर धाम मंदिर जिले में ही नहीं अपितु समीपी राज्य महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ मंऐ भी प्रख्यात है। श्रद्घालुओं की अटूट आस्था का केन्द्र कोटेश्वर धाम मंदिर पुरातात्विक धरोहर के रुप में धार्मिक-पौराणिक महत्व का तीर्थ स्थान है, जो 108 उपलिंगों में शामिल है। यहां वर्षभर मेले जैसा माहौल रहता है। लांजी का कोटेश्वर धाम मंदिर वैसे तो 1700 ईस्वी में अस्तित्व में आया है। स्थानीय भक्तो के द्वारा प्रात: काल बेला पर भगवान कोटेश्वर महादेव का अभिषेक किया जाता है जो कि अनेको रूप मे महादेव का श्रृंगार पूजन होता है जो दर्शनीय होता है।
सिवनी जिले में भगवान भोलेनाथ के मंदिर बाहुल्य है, जिसमें सबसे प्राचीन जिला मुख्यालय में स्थित मठ मंदिर न केवल आस्था की दृष्टि से बल्कि ऐतिहासिक रुप से भी काफी महत्व रखता है। सिवनी का मठ मंदिर हिन्दू सनातन धर्म व संस्कृति के केन्द्र के रूप में विद्यमान है। इस मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव-लिंग रुप में विराजमान है। आस्था और श्रध्दा का केन्द्र भगवान भोलेनाथ के मठ मंदिर में स्थापित दिव्य शिवलिंग लगभग 250 वर्ष पूर्व की मानी जाती है। मंदिर में बाबा काल भैरव, राधा कृष्ण , हनुमान लला, श्रीगणेश, नंदी जी की अदभुत प्रतिमाएं है। यह एक सिद्ध मंदिर है जहां पर भक्तगण जो भी मनोकामनाएं करते है भगवान शिव उन्हें पूर्ण करते है। मंदिर में सुबह-शाम प्रतिदिन आरती वंदन होता है। श्रावण मास में और शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की विशेष उपासना की जाती हैं। इसी के साथ जिला मुख्यालय से करीब 24 किमी दूर दिघोरी में स्थित श्री गुरुरत्नेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित विश्व के सबसे बड़े स्फटिक शिवलिंग के दर्शन करने दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। सावन में यहां विशेष अनुष्ठान के साथ कावड़िए गंगाजल से अभिषेक करने पहुंचते हैं। मान्यता है कि स्फटिक शिवलिंग के दर्शन करने से पापों से मुक्ति और पुण्य की प्राप्ति होती है। श्री महाकाल लोकार्पण के दौरान कटनी, मंडला व नरसिंहपुर में भी कार्यक्रम आयोजित होंगे।