शासन-प्रशासन की योजनाएं भले ही जनकल्याणकारी हो लेकिन ग्रामीण स्तर पर जिस तरह उनका क्रियान्वयन हो रहा है. उसे देखकर जनहितैषी नहीं कह सकते हैं
मझौली-
जरूरतमंद और पात्र लोग आज भी योजनाओं से वंचित हैं जबकि अपात्रों को दिया जा रहा है लाभ सरकार कितने ही वादे कर ले या योजनाएं चालए जब तक गरीब और निचले तब्के तक उनका लाभ उन हितग्राहियों तक नही पहुंचेगा तब तक सभी योजनाएं केवल सोशल मीडिया और कांगजो पर ही सरकार कि योजनाएं चलाई जा रही है,चाहे प्रधानमंत्री आवास योजना हों,या, स्वरोजगार योजना, केवल और केवल लाभ उन्हें दिया जा रहा है जो जनप्रतिनिधियों से जुड़े हुए हैं। यहां तक कि जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधियों के परिवार और उनके द्वारा बनाएं गए प्रतिनिधि के परिवारों को ही आवास योजना लाभ अधिक दिया जा रहा है।
यह जनहितैषी योजनाएं जनता को लाभ नहीं पहुंचा पा रही हैं । पार्टी से जुड़े पदो मे पदस्थ व्यक्तियों के द्वारा भी यही किया जा रहा है।
गरीब परिवार आज़ भी सरकार की योजनाओं से वंचित नजर आ रहे हैं।