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Saturday, October 11, 2025

सुहजनी बाली माता का अद्भुत प्राकट्य: जबलपुर जिले के ग्राम सुहजनी में 100 वर्षों से जारी है देवी की दिव्य उपासना

मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के मझौली नगर से सटे ग्राम सुहजनी में स्थित श्री सुहजनी बाली माता का मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि एक अलौकिक चमत्कार की साक्षी भूमि भी है।

मझौली जबलपुर 

यहां प्रतिवर्ष नवरात्रि के अवसर पर देवी के तीन स्वरूप – महालक्ष्मी, महाकाली और महासरस्वती– की प्रतिमा स्थापित की जाती है, जिसकी परंपरा पिछले 100 वर्षों से अक्षुण्ण रूप में चली आ रही है।

🌿 एक बुजुर्ग और तीन कन्याओं की लीला बनी आस्था का आधार

करीब सौ वर्ष पूर्व, गांव के एक गरीब बुजुर्ग प्रतिदिन भोर में 3 बजे जंगल जाकर महुआ बीनते थे। एक दिन उन्होंने देखा कि एक महुआ के पेड़ पर तीन कन्याएं झूला झूल रही थीं। भीषण जंगल में यह दृश्य देखकर बुजुर्ग अचंभित रह गए। पूछने पर कन्याओं ने कहा कि वे आसपास के गांव की हैं और झूला झूलने आती हैं। उन्होंने बुजुर्ग से वादा किया कि अगर वह उन्हें रोज झूला झुलाएंगे, तो वे प्रतिदिन उन्हें एक टोकरी महुआ निःशुल्क देंगी, लेकिन यह बात किसी को बताने से मना किया।

यह सिलसिला चलता रहा और बुजुर्ग महुआ बेचकर जीविका चलाने लगे। गांव के अन्य लोगों को जब यह बात खटकी, तो उन पर महुआ चोरी का आरोप लगाया गया। अपनी सफाई में जब बुजुर्ग ने तीन कन्याओं की बात बताई, तो लोग विश्वास नहीं कर पाए। लेकिन जब सभी को साथ लेकर वह महुआ के पेड़ के पास पहुंचे, तो कन्याएं अदृश्य थीं, पर एक टोकरी भरा महुआ वहां रखा था।

🌸 देवी के स्वरूप में दर्शन, कलकत्ता में सीखी मूर्ति बनाना

इसके बाद बुजुर्ग ने निरंतर प्रार्थना की। तब उन्हें स्वप्न में तीनों कन्याओं ने दर्शन दिए और बताया कि वे महालक्ष्मी, महाकाली और महासरस्वती हैं, और इस क्षेत्र में विराजना चाहती हैं। उन्होंने निर्देश दिया कि जहां वे झूला झूलती थीं, वहां की मिट्टी लाकर एक स्थान पर थापें और हर नवरात्र में गांव वालों से एक-एक मुट्ठी मिट्टी लेकर उनकी प्रतिमा बनाएं और स्थापना करें।

बुजुर्ग द्वारा मूर्ति बनाना नहीं जानने पर माता ने उन्हें स्वप्न में आदेश दिया कि वे कलकत्ता जाकर एक बंगाली मूर्तिकार से सीखें। वहां पहुंचते ही एक मूर्तिकार स्वयं उन्हें लेने आया और बताया कि उसे भी स्वप्न हुआ था। 15 दिनों में मूर्ति बनाना सीखकर बुजुर्ग वापस लौटे और गांव के सहयोग से प्रथम बार माता की स्थापना हुई।

आज भी अद्भुत है यह परंपरा

आज भी सुहजनी गांव में हर वर्ष नवरात्रि पर तीनों माताओं की प्रतिमा उसी प्रकार बनाई जाती है। आश्चर्य की बात यह है कि

100 वर्षों से तीनों मूर्तियों का स्वरूप एक समान बना रहता है जो स्वयं में एक अलौकिक चमत्कार है।

विशेष मान्यता है कि जिस स्थान से काली’ रूप में पंडा ग्यारस के दिन चल समारोह प्रारंभ करता है वह स्थान वही है जहां से माता की मिट्टी लाई गई थी – वही स्थान जहां देवियाँ झूला झूलती थीं। नवरात्रि के दौरान यहां हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

सुंदरलाल बर्मनhttps://majholidarpan.com/
Sundar Lal barman (41 years) is the editor of MajholiDarpan.com. He has approximately 10 years of experience in the publishing and newspaper business and has been a part of the organization for the same number of years. He is responsible for our long-term vision and monitoring our Company’s performance and devising the overall business plans. Under his Dynamic leadership with a clear future vision, the company has progressed to become one of Hindi e-newspaper , with Jabalpur district.

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