धान खरीदी में हुई गड़बड़ियों की सीएम से शिकायत
जबलपुर
शिकायत्र पत्र लेकर सीएम से मिले पाटन विधायक; कलेक्टर को जांच के निर्देश
जबलपुर जिले की मझौली तहसील अनतर्गत आने वाली खबरा धनाढी धान घोटाले को लेकर पूर्व मंत्री और पाटन विधायक अजय विश्नोई ने सीएम यादव को शिकायती पत्र लिखा है। विधायक ने जिले में अनाज घोटाले में मिलीभगत का आरोप लगाया है।
विधायक ने अपने शिकायत पत्र में लिखा है कि, जबलपुर में धान, गेहूं, चना खरीदी में हर वर्ष घोटालों का रिकॉर्ड बनता है। घोटाला करके जिले की अधिकांश समितियों डिफॉल्टर हो गयी है। समितियों में कर्मचारियों की कमी है। डिफॉल्टर समितियों के कर्मचारियों (जिनकी वजह से समिति डिफाल्टर हुई) को फिर उपार्जन में लगा दिया जाता है।
एक-एक समिति को कई-कई उपार्जन केन्द्र की जवाबदारी दे दी जाती है। समिति का असल कर्मचारी किसी व्यक्ति या गोदाम मालिक को एक निश्चित रकम लेकर खरीदी केन्द्र को बेच देता है। कृपया मेरे इस पत्र को गंभीरता से लेते हुए जबलपुर कलेक्टर को निर्देशित किया जाए कि, मेरी इस शिकायत पर कार्रवाई करें, क्योंकि ना सिर्फ मेरी विधानसभा, बल्कि संभाग के कई जिलों में इस तरह के हालात बने है।
सीएम से मिलकर की शिकायत
विधायक विश्नोई अपने पत्र को लेकर भोपाल पहुंचे और सीएम डॉ यादव से मुलाकात कर उनको पत्र सौंपा। विधायक के पत्र को मुख्यमंत्री मोहन यादव ने गंभीरता से लिया और कलेक्टर को जांच कर कार्रवाई करने कहा है।
सीएम से मुलाकात कर विधायक ने कहा- फर्जी धान खरीदी हो रही
विधायक विश्नोई ने सीएम को पत्र सौंपते हुए कहा कि खरीदी केंद्र पर सर्वेयर, कंप्यूटर ऑपरेटर की मिलीभगत से फर्जी धान खरीदी जाती है। धान आती नहीं हैं, परन्तु पोर्टल पर चढ़ जाती है। सरकार से भुगतान ले लिया जाता है। इसी का नतीजा है कि अनेक केन्द्र में भौतिक जांच पर, धान की मात्रा, खरीदी मात्रा से कम पाई गई। जिसे स्थानीय भाषा में घटी कहा गया है।
विधायक ने पत्र में यह भी लिखा है कि उस घटी मात्रा की धान की आपूर्ति फर्जी RO (जिसकी शिकायत मैंने अपने पत्र दिनांक 30.01.2025 के द्वारा की है), से खरीदी गई धान से की जाती है। फिर भी जो मात्रा कम रह जाती है, उसकी अपूर्ति जिले की समितियों को देय कमीशन की राशि से की जाती है। समितियों को उनका कमीशन नही दिया जाता है। समितियों भी चुप रहती है क्योंकि उन्होंने खरीदी में भ्रष्टाचार करके पहले ही कमाई कर ली होती है। नुकसान सिर्फ सरकार का होता है।
विधायक अजय विश्नोई ने सीएम से मुलाकात कर उन्हें बताया कि मेरी विधानसभा में मझौली विकासखंड के एक प्रबंधक विजय राम को पांच केन्द्र की जवाबदारी दी गई थी। उन्हीं में से एक केन्द्र खांड पर 6000 क्विंटल धान कम पाई गई है।
विधायक अजय विश्नोई ने पत्र में लिखा है कि ग्वालियर, मुरैना, उज्जैन और डिंडौरी के राइस मिल के लिए जारी किये गए RO से खरीदी गई धान, जबलपुर के बाहर नहीं गई, बल्कि यही के गोदाम में फर्जी खरीदी की पूर्ति के लिए उपयोग में लाई जा रही है।
जांच के लिए टीम गठित की गई है-कलेक्टर दीपक सक्सेना
विधायक के पत्र को लेकर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने कहा कि पाटन विधायक ने जिले में धान खरीदी की गड़बड़ी पर लेकर पत्र लिखकर अशांक जाहिर की है। विधायक की शिकायत को गंभीरता से लिया गया है, जिसके बाद एक उच्च स्तरीय जांच टीम बनाई गई है। जल्द से जल्द रिपोर्ट मांगी गई है। कलेक्टर ने बताया कि जो आरओ, जारी किए गए है, उनकी जांच की जा रही है। कलेक्टर ने कहा कि धान की वास्तविक मिलिंग हुई है, या नहीं यह भी जांच का हिस्सा रहेगा।
एक हफ्ते पहले सामने आया था फर्जीवाड़ा
करीब एक सप्ताह पहले जबलपुर में धान खरीदी का बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया था। शिकायतों और संदेह के आधार पर कलेक्टर दीपक सक्सेना के निर्देश पर वेयर हाउसों की जांच की गई, जिसमें धान की भारी कमी और गुणवत्ताहीन धान का स्टॉक पाया गया। सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज धान और वेयर हाउसों में रखी धान की मात्रा में बड़ा अंतर देखने को मिला है।
जांच के दौरान कालाडूमर स्थित नर्मदा एग्रो वेयरहाउस और कटंगी के गुरुजी वेयरहाउस में बड़ी धांधली का खुलासा हुआ। नर्मदा एग्रो वेयरहाउस में सरकारी रिकॉर्ड से 7100 क्विंटल धान कम पाई गई, जबकि गुरुजी वेयरहाउस में 5500 क्विंटल से अधिक धान कम पाई गई। इस हिसाब से यदि इन दोनों वेयर हाउसों में कम पाई गई धान की कीमत का आकलन किया जाए तो यह एक करोड़ रुपए से अधिक की चपत शासन को लगने की आशंका थी।