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Friday, June 20, 2025

विधानसभा व संसद में फिर गूंजेगा माझी आरक्षण का मुद्दा

मांझी मछुआरा समाज के समाजहित के लिये क्या हो रणनीति ?

अमर नोरिया ( पत्रकार )
नरसिंहपुर

मध्यप्रदेश में माझी जनजाति के पर्याय नामों को जनजाति की सूची में शामिल करने हेतु मध्यप्रदेश के जनजातीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा 29 अगस्त 2018 को केंद्र सरकार को भेजे गये प्रस्ताव को जनजाति आयोग में कोरम के अभाव में अमान्य कर दिया है और मध्यप्रदेश सरकार को इसकी सूचना 13 मार्च 2020 को दे दी गई है, उसके बाद से अब तक उस प्रस्ताव पर कार्यवाही कहां और कैसे चल रही है इसकी कोई सार्वजनिक सूचना नहीं है । उसके पूर्व 1 जनवरी 2018 को माझी के पर्याय नामों को वर्ष 2005 तक ही जनजाति की सुविधा का संरक्षण देने का आदेश जारी किया चुका है 2005 के बाद से माझी समाज के पर्याय ढीमर,भोई, केवट,कहार, मल्लाह,निषाद आदि को जनजाति की सुविधाओं का लाभ नहीं दिया जायेगा इसका प्रावधान किया गया है,साथ ही मध्यप्रदेश में लागू की गई ” मत्स्य पालन नीति 2008 ” के नियमों की अनदेखी लगातार करके वंशानुगत मत्स्याखेट के अधिकार से समाज को वंचित किया जा रहा है । मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी द्वारा अपने चुनावी घोषणा पत्रों में विधानसभा चुनाव वर्ष 2008 व 2013 तक माझी के पर्याय नामो को जनजाति की सुविधाओं का लाभ दिलाये जाने का समावेश किया गया था,किन्तु विधानसभा चुनाव 2018 में भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र से माझी मुद्दे को गायब कर दिया गया, साथ ही समाज के वंशानुगत रोजगार के माध्यम रेतवाड़ी,तालाब व अन्य सुविधाओं से वंचित किये जाने की नीतियां लागू कर दी गई हैं । वर्तमान समय में समाज को न आरक्षण का लाभ मिल रहा है और न ही वंशानुगत रोजगार के हमारे साधनों में प्रमुखता दी जा रही है इस बात को ध्यान में रखकर क्या रणनीति बनानी है और प्रदेश और केंद्र सरकार द्वारा माझी के पर्याय नामों को लेकर प्रस्ताव व कार्यवाही ठंडे बस्ते में पड़ी है और उसकी जो अनदेखी की जा रही है आनेवाले समय में मध्यप्रदेश विधानसभा व संसद में माझी आरक्षण सहित वंशानुगत रोजगार का मुद्दा फिर उठेगा उसको लेकर हमारे युवा साथियों सहित उन सक्रिय समाजसेवी से भी विनम्र निवेदन और आग्रह है कि वह अपने अपने विचार व सुझाव समाज के बीच रखें जिससे कि आने वाले समय में प्रदेश के अनेक स्थानों पर होने वाले सम्मेलनों व व्यापक जनजागरण अभियान में उन पर विस्तृत रूप से चर्चा की जा सके।

सुंदरलाल बर्मनhttps://majholidarpan.com/
Sundar Lal barman (41 years) is the editor of MajholiDarpan.com. He has approximately 10 years of experience in the publishing and newspaper business and has been a part of the organization for the same number of years. He is responsible for our long-term vision and monitoring our Company’s performance and devising the overall business plans. Under his Dynamic leadership with a clear future vision, the company has progressed to become one of Hindi e-newspaper , with Jabalpur district.

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