दूसरे जिलों से आ रहीं थीं प्रसूताएं, अबॉर्शन की भी थी चर्चा — स्वास्थ्य विभाग ने की कार्रवाई, अस्पताल सील
सिहोरा (जबलपुर)।
स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ करने वाले “आदि संस्कार हॉस्पिटल” को बिना रजिस्ट्रेशन और बिना योग्य डॉक्टर के संचालित किया जा रहा था। बुधवार को बीएमओ डॉ. अर्शिया खान के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अस्पताल पर दबिश देकर उसे सील कर दिया।
NH-30 किनारे, खितौला के पास चल रहा था अवैध अस्पताल
यह तथाकथित अस्पताल खितौला के पास एनएच 30 पर एक गैलरीनुमा कमरे में चल रहा था। संचालिका प्रीति केवट जो मूलतः ढीमरखेड़ा, जिला कटनी की रहने वाली हैं, लंबे समय से यहां पर प्रसूति महिलाओं का इलाज कर रही थीं। कई महिलाएं दूसरे जिलों से रेफर होकर यहां आती थीं।
दबिश में ये मिला:
एक्सपायरी दवाइयां
ब्लड की थैलियां
मरीजों के नाम व भुगतान संबंधी रजिस्टर
कोई पंजीकरण या डिग्री उपलब्ध नहीं
जब स्वास्थ्य विभाग की टीम ने प्रीति केवट से अस्पताल के पंजीयन और डॉक्टर की डिग्री के दस्तावेज मांगे, तो वह एक भी वैध कागज़ प्रस्तुत नहीं कर सकीं।
सूत्रों के अनुसार – “अबॉर्शन का अड्डा” बना हुआ था अस्पताल
स्थानीय सूत्रों की मानें तो इस तथाकथित अस्पताल में अवैध गर्भपात (अबॉर्शन) भी किए जाते थे। यह लंबे समय से शहर में चर्चा का विषय बना हुआ था। इसी शिकायत के आधार पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजय मिश्रा के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई।
स्वास्थ्य विभाग का बयान
सीएमएचओ के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई। मौके से बड़ी मात्रा में एक्सपायरी दवाएं ब्लड की थैलियां और मरीज रजिस्टर जब्त किया गया है। प्रीति केवट के पास ना कोई रजिस्ट्रेशन था और ना डिग्री। मामले की रिपोर्ट जबलपुर भेजी जा रही है।
— डॉ. अर्शिया खान, बीएमओ सिहोरा
सवालों के घेरे में स्वास्थ्य तंत्र
इतने समय तक यह अस्पताल कैसे चल रहा था?
स्थानीय प्रशासन या जनप्रतिनिधियों की जानकारी में बात क्यों नहीं आई?
अब तक यहां कितनी महिलाओं का इलाज किया गया?
मांग: संचालिका के खिलाफ FIR हो
स्थानीय जागरूक नागरिकों और जनप्रतिनिधियों ने तत्काल FIR दर्ज कर, इस तरह के फर्जी अस्पतालों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।