लोक निर्माण विभाग (PWD) के रिटायर्ड अधिकारी गोविंद प्रसाद मेहरा के खिलाफ लोकायुक्त संगठन ने शुक्रवार को ऐसा बहुचर्चित और बहुस्तरीय छापा मारा, जिसकी गूंज पूरे मध्यप्रदेश में सुनाई दी।
भोपाल/नर्मदापुरम,
चार अलग-अलग ठिकानों पर एकसाथ की गई कार्रवाई में, लोकायुक्त टीम को जो मिला, उसने न केवल विभागीय अमले को चौंका दिया, बल्कि आम जनमानस को भी झकझोर दिया।
17 टन शहद”, “₹3 करोड़ का सोना”, दर्जनों लग्जरी संपत्तियां, और करोड़ों की अघोषित बेनामी संपत्ति — यह किसी सामान्य रिटायर्ड अफसर की संपत्ति नहीं लगती!”
चार ठिकानों पर एकसाथ दबिश:
1. मणिपुरम कॉलोनी, भोपाल — निजी आवास
2. बावड़िया कला, भोपाल — दूसरा आवास
3. गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया — K.T. इंडस्ट्रीज (PVC पाइप फैक्ट्री)
4. ग्राम सैनी, तहसील सोहागपुर नर्मदापुरम — विशाल फार्महाउस
शहद की नदी, नोटों की बारिश — सैनी गांव बना चर्चा का केंद्र
सोहागपुर की ग्रामीण सीमा में बसे ग्राम सैनी स्थित फार्महाउस में जो दृश्य सामने आया, वह किसी उद्योगपति की संपत्ति से कम नहीं था।
लोकायुक्त को यहां से बरामद हुआ:17 टन शुद्ध शहद— ड्रमों में संग्रहीत
₹3 करोड़ का सोना— आभूषणों और बिस्किट्स के रूप में
6 ट्रैक्टर 4 लग्जरी कारें – (फोर्ड एंडेवर, स्कोडा स्लाविया, किया सोनेट, मारुति सियाज)
32 निर्माणाधीन कॉटेज 7 तैयार कॉटेज
2 मछली पालन केंद्र और 2 आधुनिक गौशालाएं
ग्रामीणों ने चुटकी लेते हुए कहा:ये तो अफसर नहीं, पूरा शहद उद्योग चला रहे थे साहब!”
फैक्ट्री में छिपा भ्रष्टाचार का दूसरा सिरा गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया स्थित K.T. इंडस्ट्रीज फैक्ट्री की आड़ में PVC पाइप निर्माण व्यवसाय भी संचालित हो रहा था।
यह फैक्ट्री रोहित मेहरा (पुत्र) और एक अन्य सहयोगी कैलाश नायक के नाम पर पंजीकृत थी, लेकिन संचालन और नियंत्रण गोविंद मेहरा के ही अधीन बताया जा रहा है।
यहां से जब्त की गई सामग्री में शामिल हैं:₹1.25 लाख नकद फैक्ट्री दस्तावेज़, बैंक विवरण
कई ज़मीनों की प्रॉपर्टी डीलर कुल मिला कर सामने आई संपत्ति में शामिल हैं:भोपाल, नर्मदापुरम और सोहागपुर में फैली नामजद व बेनामी ज़मीनें
अचल संपत्ति, फार्मिंग यूनिट्स, लग्जरी वाहन
शहद और पाइप फैक्ट्री से होने वाली अनियमित आय
लोकायुक्त का बयान: “बौद्धिक अफसर पर लालच हावी”
लोकायुक्त एसपी दुर्गेश राठौर ने कहा:”सत्यापन के बाद प्रथम दृष्टया आरोप सही पाए गए हैं। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है कि श्री मेहरा ने वर्षों तक पद के दुरुपयोग से करोड़ों की बेनामी संपत्ति अर्जित की।”
अब विस्तृत विवेचना की जा रही है, आय से अधिक संपत्ति का मामला पूरी मजबूती से तैयार किया जाएगा।”
यह छापा सिर्फ एक रिटायर्ड अधिकारी के भ्रष्टाचार की कहानी नहीं, बल्कि यह एक चेतावनी है — उन तमाम ‘स्मार्ट’ अफसरों के लिए जो सेवा के बाद ‘उद्योगपति’ बनने का सपना, जनधन की नींव पर देखते हैं।
शहद में छिपी मिठास अब जांच की कसौटी पर है।
अधिक अपडेट के लिए जुड़े रहें