मंत्री श्री सिंह ने दी शहर के संतों को कार्ययोजना की जानकारी
जबलपुर
जबलपुर में माँ नर्मदा के पावन तटों को अयोध्या की सरयू नदी के घाटों की तर्ज पर विकसित करने की महत्वाकांक्षी योजना ने मूर्तरूप लेना शुरू कर दिया है। लोक निर्माण मंत्री श्री राकेश सिंह ने आज सर्किट हाउस में शहर के संतों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक कर, इस भव्य विकास कार्य की कार्ययोजना का प्रस्तुतीकरण किया। इस अवसर पर भाजपा नगर अध्यक्ष श्री रत्नेश सोनकर और एमपीआरडीसी के प्रबंध संचालक श्री भरत यादव भी मौजूद रहे।
प्रथम चरण में छह घाटों को मिलेगी एकरूपता –
परियोजना के पहले चरण में खारीघाट, दरोगाघाट, गौरीघाट, उमाघाट, सिद्धघाट और जिलहरीघाट को एक साथ जोड़कर सरयू के घाटों जैसी एकरूपता प्रदान की जाएगी। इसका उद्देश्य श्रद्धालुओं को स्नान, पूजा, ध्यान और पवित्रता का एक स्वच्छ, सुरक्षित और सुव्यवस्थित अनुभव देना है।
विकास योजना में निम्नलिखित महत्वपूर्ण कार्य शामिल हैं:
खारीघाट और दरोगा घाट पर विशेष सुविधाएँ –
खारीघाट पर खारी विसर्जन के लिए एक पृथक जलकुंड बनाया जाएगा, जिससे नदी की मुख्य धारा को प्रदूषण से बचाया जा सके। खारीघाट और दरोगा घाट पर श्रद्धालुओं के उतरने के लिए व्यवस्थित सीढ़ियाँ, चेंजिंग रूम, तीर्थ पुरोहितों के लिए बैठक व्यवस्था और मुंडन स्थल का निर्माण किया जाएगा। खारीघाट पर एक छोटा और दरोगा घाट की तरफ एक बड़ा नाव घाट बनाया जाएगा। दरोगा घाट की दीवारों पर आर्टवर्क एवं म्युरेल्स के माध्यम से माँ नर्मदा की गाथा का चित्रण किया जाएगा।
भव्य संध्या आरती की व्यवस्था –
नर्मदा घाट पर संध्या आरती के लिए पाँच भव्य मंच निर्मित किए जाएंगे, जो दिव्य और अलौकिक अनुभूति प्रदान करेंगे। आरती स्थल के सामने एक विशेष बैठक स्थल और पीछे की ओर चौड़ी सीढ़ियाँ बनाई जा रही हैं, जहाँ श्रद्धालु भक्ति भाव से आरती का आनंद ले सकेंगे। वर्षाकाल में भी आरती निर्बाध रूप से जारी रहे, इसके लिए सीढ़ियों के ऊपर विशेष स्थान का निर्माण होगा।
गौरीघाट पर ‘नर्मदा चैनल’ की अनूठी पहल –
गौरीघाट से प्रारंभ होकर लगभग 800 मीटर लंबा, 15 मीटर चौड़ा और 1 मीटर गहरा एक चैनल बनाया जाएगा। इस चैनल के माध्यम से माँ नर्मदा की जलधारा श्रद्धालुओं के लिए उपलब्ध होगी। यह चैनल माँ नर्मदा की मुख्य धारा को प्रदूषण मुक्त रखते हुए श्रद्धालुओं को स्नान और पूजन के लिए बेहतर, स्वच्छ और सुरक्षित व्यवस्था प्रदान करेगा। इस चैनल के दो भाग होंगे: प्रथम भाग पुष्प अर्पण एवं दीपदान के लिए और दूसरा भाग श्रद्धालुओं के स्नान के लिए उपयोग किया जाएगा। गौरीघाट के प्रवेश पर सड़क की ढलान को भी आसान और चौड़ा बनाया जाएगा।
अन्य महत्वपूर्ण निर्माण कार्य –
घाटों पर स्थित छोटे-बड़े मंदिरों को एक ही स्थान पर पुनःस्थापित कर व्यवस्थित रूप प्रदान किया जाएगा। सिद्ध घाट की ओर से आ रही गोमुख से प्रवाहित प्राकृतिक जलधारा को यथावत रखा जाएगा। चैनल के समीप धार्मिक अनुष्ठानों के लिए तीर्थ पुरोहितों के बैठने का स्थान, पूजन सामग्री की दुकानों के लिए जगह और निर्माल्य विसर्जन के लिए जल कुंड निर्धारित किया गया है। जिलहरी घाट की तरफ एक नाव घाट और आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए एक भव्य मंच निर्मित किया जाएगा।
सुव्यवस्थित पार्किंग और पैदल पथ –
यातायात जाम और अव्यवस्था को रोकने के लिए घाटों के समीप ही पाँच स्थानों पर सुव्यवस्थित पार्किंग की व्यवस्था की जाएगी। इसमें लगभग 900 दो-पहिया और 700 चार-पहिया वाहनों की पार्किंग हो सकेगी। इस व्यवस्था में वर्तमान पार्किंग का विस्तार किया जाएगा तथा नई पार्किंग भी विकसित की जाएगी। गौरीघाट पर वाहनों का प्रवेश निषेध होगा। ड्रॉपिंग प्वाइंट से ग्वारीघाट तक की सड़क को पैदल पथ में परिवर्तित किया जाएगा, जिस पर वृद्ध एवं दिव्यांग व्यक्तियों की सुविधा के लिए ई-कार्ट भी चलाई जाएगी। इस मार्ग पर आरती स्थल आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए दुकानें बनायी जाएंगी और एक स्वागत द्वार भी बनाया जाएगा। वर्तमान अस्थायी दुकानों के स्थान पर सुव्यवस्थित स्थायी दुकानें भी बनेंगी।
पर्यावरण संरक्षण एवं सुरक्षा –
परियोजना में पर्यावरण संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। सम्पूर्ण घाट पर रात्रिकालीन सुरक्षा और सुंदरता के लिए आधुनिक सौर ऊर्जा चलित एलईडी लाइटें लगाई जाएंगी। सफाई और पर्यावरण अनुकूलता बनाए रखने के लिए दुकानों के आसपास अंडरग्राउंड ड्रेनेज की व्यवस्था की गई है। घाटों पर एंटी स्किड पत्थरों का उपयोग होगा, जिनकी सफाई के लिए वॉटर जेट लगाए जाएंगे। घाटों की सुरक्षा के लिए वाच टावर और एक संयुक्त कंट्रोल रूम स्थापित किया जाएगा।
मंत्री श्री सिंह ने कहा कि यह माँ नर्मदा की सेवा का एक पुण्य अवसर है, और संतों के सहयोग, समर्पण एवं आशीर्वाद से यह पुनीत कार्य सरयू की तर्ज पर विकसित होकर आस्था को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा।




