सत्ता के दबाव में अवैध खनन करवाने वाली नगर परिषद अध्यक्ष और समर्थकों को बचाने के लिए ईमानदारी से कार्यवाही करने वाले नायब तहसीलदार को बलि का बकरा बनाने का चल रहा है प्रयास
चित्रकूट
सत्ता के मद में चूर होकर चित्रकूट क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पथरा स्थित सुरांगी में रात्रि के समय चोरी चोरी अवैध खनन करवाने वाली और नायब तहसीलदार के साथ अवैध खनन रोकने गई पुलिस को चप्पल मारने वाली नगर परिषद चित्रकूट की अध्यक्ष साधना पटेल और उसके समर्थकों को बचाने एवं नायब तहसीलदार चित्रकूट सुमित गुर्जर को बलि का बकरा बनाने का खेल शुरू हो गया।गौर तलब है कि बीते दिनों ग्राम पथरा स्थित सुरांगी में रात के समय चोरी चोरी नगर परिषद अध्यक्ष और उसके समर्थकों द्वारा एक आदिवासी को पट्टे पर आवंटित की गई सरकारी जमीन पर बिना सक्षम अनुमति के अवैध खनन करवाया जा रहा था। जिसकी जानकारी लगने के बाद नायब तहसीलदार चित्रकूट सुमित गुर्जर पुलिस बल को साथ लेकर करवाए जा रहे अवैध खनन को रोकने पहुंचे थे।मौके पर पहुंचने पर अध्यक्ष और उसके समर्थकों द्वारा जहां लाठी डंडों से लैश होकर नायब तहसीलदार सहित पुलिस के साथ गाली गलौज करते हुए हमले का प्रयास किया गया।तो वही अध्यक्ष साधना पटेल द्वारा अपनी चप्पल उतारकर पुलिस कर्मचारी को मार दी गई।जिसका वीडियो लगातार समाचार पत्रों और न्यूज चैनलों पर प्रसारित किया जा रहा है।असली खेल इसके बाद शुरु होता है।जब कुछ टूट पूंजिए पत्रकारों द्वारा चप्पल मारने का वीडियो होने के बावजूद अध्यक्ष और उसके समर्थकों को ही पीड़ित दिखाते हुए इन्हे फसाने की साजिश बताया जाता है।और नायब तहसीलदार एवम पुलिस को खलनायक साबित करने का प्रयास किया जा रहा है।इसके लिए तमाम तरह के आडियो वाट्सअप ग्रुपों में चलाए जा रहे कि कैसे पुलिस द्वारा अध्यक्ष और उसके समर्थकों को पुलिस द्वारा गाली गलौज की गई,जिसके बाद अध्यक्ष द्वारा पुलिस कर्मी को चप्पल मारी गई।साथ ही नायब तहसीलदार और एसडीओपी चित्रकूट के आडियो वाट्सअप ग्रुपों में प्रसारित करते हुए यह दिखाने का प्रयोजन चल रहा है कि आखिरकार नायब तहसीलदार किसकी सूचना पर खनन रोकने गए।अब यहां यह प्रश्न उठते हैं कि क्या नायब तहसीलदार अपने क्षेत्र में हो रहे अवैध खनन को रोकने भी नहीं जा सकता है।इसके लिए उसे क्या किसी के परमिशन की आवश्यकता है।अगर उसे जानकारी मिलती है कि उसके क्षेत्र में अवैध खनन हो रहा है,और नायब तहसीलदार पुलिस बल को साथ लेकर रोकने चले गए।तब फिर इसमें आखिरकार क्या गलत हो गया।वहीं दूसरी तरफ अध्यक्ष और उसके समर्थकों द्वारा जिस जमीन पर रात्रि के समय चोरी चोरी बिना सक्षम अनुमति के अवैध खनन करवाया जा रहा था।वो जमीन कल्लू मवासी को सरकार द्वारा पट्टे पर घर बनाने के लिए दी गई है।यहां शायद नियम जानने वालों को भी यह बात मालूम होगी, कि किसी आदिवासी की जमीन पर बिना सक्षम अनुमति के खनन या खरीदा बेचा नही जा सकता है।साथ ही जिस जमीन से डेढ़ किलो मीटर के अंदर जंगल हो,40 मीटर के अंदर हाइटेंसन विद्युत लाइन पोल और 5 मीटर सीमा के अंदर घरेलू विद्युत लाइन पोल के अलावा 15 मीटर के अंदर अगर घरेलू निवास हो, तब भी खनन नही किया जा सकता है।यहां यह जान लेना आवश्यक है कि कि जिस जमीन पर अध्यक्ष और उसके समर्थकों द्वारा अवैध खनन करवाया जा रहा था।उसकी परिधि में उक्त सारी बाते लागू होती हैं।इसके बाद भी इतने बड़े मामले को कुछ छुट भईया पत्रकारों द्वारा अध्यक्ष को फसाने की साजिश बताया जाकर अध्यक्ष और उसके समर्थकों को सद्भावना दिलाने का प्रयास किया जा रहा है।और अब नायब तहसीलदार को बलि का बकरा बनाने का खेल खेला जा रहा है।सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार इसके लिए सत्ता पक्ष के लोगो द्वारा नायब तहसीलदार के ऊपर बयान बदलने के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा है।