देश में शक्ति की प्रतीक माँ दुर्गा की उपासना श्रद्धा, विश्वास एवं अगाध आस्था के साथ होती है ।
जबलपुर
जबलपुर में बड़ी खेरमाई मंदिर शक्ति की उपासना का प्राचीनतम केंद्र है। बड़ी खेरमाई मंदिर नगर के ह्रदय स्थल में प्रतिष्ठापित सिद्ध स्थल है। बताया जाता है कि इस ऐतिहासिक मंदिर का निर्माण गोंड राजा संग्राम शाह द्वारा कराया गया था ।
52 शक्तिपीठों में शामिल भानतलैया स्थित बड़ी खेरमाई मंदिर में सप्तमी, अष्टमी और नवमी को रात में महाआरती की जाती है। नवरात्र दिनों में यहाँ माँ का नौ रूपों में श्रृंगार किया जाता है। खेरमाई मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु पहुँचते हैं । सैकडों वर्ष प्राचीन सिद्धिदाता पीपल का वृक्ष भी है। जिसकी परिक्रमा कर भक्तजन अपनी मनोकामना पूरी करते हैं। तीन प्राचीन बावलियां भी जलपूर्ति का साधन बनी हैं। परिसर में तीन प्रवेश द्वार भी हैं। परिसर में शक्ति के प्रतीक देवी-देवताओं के मंदिर हैं।
पहले माता का पूजन शिला के रूप में होता रहा है। जो शिला आज भी गर्भगृह में मुख्य प्रतिमा के नीचे स्थापित है। इसका इतिहास कल्चुरी काल यानि करीब 800 साल पुराना माना जाता है। बताया जाता है कि गोंड शासन काल के दौरान राजा मदनशाह को एक बार मुगल सेना ने परास्त कर दिया तो वे यहां आकर रूके थे, तब उन्होंने शिला का पूजन किया। माता के पूजन पश्चात् उन्होंने दोबारा मुगलों से युद्ध लड़ा और विजयी हुए। वहीं 500 वर्ष पूर्व गोंड राजा संग्राम शाह ने यहां प्रतिमा की स्थापना कर मढ़िया बनवाई थी।
बड़ी खेरमाई का पुराना मंदिर जीर्णशीर्ण अवस्था में हो गया था। कुछ वर्ष पूर्व उसे तोडकर बिना गर्भगृह की प्रतिमाओं हटाये नये मंदिर का निर्माण सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर जनसहयोग से कराया गया है। इसमें कहीं पर लोहा का उपयोग नहीं किया गया है। पूरा मंदिर पत्थरों की लॉकिंग सिस्टम से खड़ा किया गया है।