मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पावन तपोस्थली पवित्र नगरी चित्रकूट धाम के चौरासी कोसीय राम वन पथ गमन मार्ग स्थित पवित्र सिद्धा पहाड़ (पर्वत) का अस्तित्व संकट में आ गया है
चित्रकूट/सिद्धा से सत्येन्द्र कुमार श्रीवास्तव की रिपोर्ट
पहाड़ में खनिज लीज अनुमति की प्रक्रिया के बाद चारो तरफ से सरकार पर सवाल उठने लगे है।
तो वहीं कांग्रेस पार्टी भी इसे मुद्दा बनाने में कोई कोर कसर नही छोड़ना चाह रही है। धार्मिक महत्व का यह वही पहाड़ है, जिसे रामायण,राम चरित मानस में अस्थि समूह पर्वत कहा गया है। त्रेता युग मे राक्षसों ने तपस्वी ऋषि मुनियों को मार मारकर हड्डियों का अंबार लगा दिया था। जिसे देखने के बाद भगवान श्री राम ने धरती को राक्षस विहीन करने की प्रतिज्ञा ली थी।
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म.प्र. के सतना जिला स्थित चित्रकूट धाम के राम वन पथ गमन मार्ग पर स्थित पवित्र सिद्धा पर्वत का अस्तित्व संकट में है।
हिन्दू धार्मिक मान्यताओं सहित रामायण, और श्री राम चरित मानस के अनुसार त्रेतायुग में सिद्धा पहाड़ अस्थि अर्थात हड्डियों का विशाल समूह था। जिसे राक्षसों द्वारा तपस्वी ऋषि मुनियों और साधुओं को मारकर खाने के बाद उनकी हड्डियों का ढेर लगा दिया गया था। लाखों लाख हिंदू आस्था के प्रतीक इस त्रेतायुगीन पर्वत पर 15 वर्ष से बंद पड़ी लेटेराइट और बाक्साइड की एक खदान को फिर से खोलने के लिए कटनी के एक खनिज कारोबारी सुरेंद्र सिंह सलूजा ने इनवायरमेंट क्लीयरेंस के लिए पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड में आवेदन लगाया है।दरअसल चित्रकूट के राम वन पथ गमन मार्ग पर स्थित यह वही सिद्धा पर्वत है, जिसे राज्य शासन के सर्वेक्षण संचालनालय पुरातत्व अभिलेखागार संग्रहालय भोपाल की सर्वे रिपोर्ट में पवित्र धार्मिक स्थल माना है।एमपी हाईकोर्ट के निर्देश पर वर्ष 2015 में सिद्धा पर्वत समेत चित्रकूट क्षेत्र के 09 स्थलों का सर्वेक्षण कराया गया था। टीम में शामिल प्रभारी अधिकारी आशुतोष उपरीत और प्रभारी अधिकारी डॉ. रमेशचंद्र यादव ने अपनी रिपोर्ट में माना था कि उत्खनन से धार्मिक महत्व का सिद्धा पर्वत नष्ट हो रहा है। उत्खनन से न सिर्फ पहाड़ अस्तित्व विहीन होगा बल्कि धार्मिक आस्था भी आहत होगी। साथ ही पर्यावरण संतुलन भी बिगड़ेगा।बावजूद इसके इंडियन ब्यूरो आफ माइंस जबलपुर स्थित रीजनल आफिस ने बंद पड़ी खनिज विहीन खदान के माइनिंग प्लान को आंख मूंद कर मंजूरी दे दी। इसके अलावा यह इलाका जंगली जानवरों के लिये मुफीद होने से वाइल्ड लाइफ सेंचुरी बनाने का प्रोजेक्ट भोपाल भेजा गया था जो धूल फांक रहा है। सिद्धा पर्वत का उल्लेख वाल्मीकि रामायण के अरण्यकांड में मिलता है। तुलसीकृत रामचरित मानस में भी इसके महत्व को रेखांकित किया गया है।इन्हीं पुख्ता आधारों पर त्रेतायुग में पर्वतनुमा हड्यिों का ढेर देखकर वनवासी श्रीराम द्रवित हो उठे थे। उन्हें ऋषियों ने बताया था कि यह उन ऋषि-मुनियों की अस्थियों के ढेर हैं, जिन्हें राक्षसों ने मार कर खा लिया है। यह वही स्थल है, जहां श्रीराम ने धरती से राक्षसों को नाश कर देने का संकल्प लिया था। श्री राम चरित मानस में भी यह स्पष्ट है कि इस क्षेत्र में सर्वत्र ऋषि-मुनियों के आश्रम हुआ करते थे। सिद्धा पर्वत का संबंध इन्हीं सिद्ध संतों से है। डेढ़ दशक बाद एक बार फिर सिद्धा पहाड़ को खोदने की सुगबुगाहट से इलाके के लोग आक्रोशित हैं। उनका कहना है कि यहां खदान नहीं शुरू होने देंगे। भाजपा सरकार में जब मुद्दा भगवान श्री राम से जुड़ा हो और भाजपा की सरकार ने आंख बंद कर ली हो तो, मौके की तलाश में बैठी कांग्रेस को बैठे बिठाए ज्वलनशील मुद्दा मिल गया। चित्रकूट से कांग्रेस विधायक नीलांशु चतुर्वेदी ने सत्ताधारी भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा है। इतना ही नहीं सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी ने भी शिवराज सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। भगवान श्री राम के नाम पर सुलगते इस मुद्दे पर कांग्रेस एवं भाजपा सहित समूचा क्षेत्र सरकार पर हमलावर हो गयी हैं।जिसके बाद राजधानी भोपाल में भी मुद्दे की धमक सुनाई देने लगी है।