विंध्य की सियासत में भाजपा ने कांग्रेस को पछाड़ा: वर्ष 2003, 2008, 2013 और 2018 के विधानसभा चुनावों में भाजपा का जलवा, बसपा ने दिग्गजों के किलो को भेदा
पंकज पाराशर छतरपुर✍️
विंध्य राज्य का पांचवां सबसे बड़ा क्षेत्र है l राज्य की 31 विधानसभा सीटें और 4 लोकसभा सीटें इस क्षेत्र में आती हैं, बता दें कि मध्य प्रदेश बनने के बाद से ये जोन राजनीति का केंद्र रहा है l पिछले कुछ विधानसभा चुनावों की बात करें तो इसमें बीजेपी ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है l इसलिए विंध्य बीजेपी का मजबूत किला है l यहां तक कि 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत मिलने के बाद भी पार्टी यहां ज्यादा सीटें नहीं जीत सकी थी l इसलिए कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव में विंध्य में जीत के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, हालांकि ये कांग्रेस के लिए इतना आसान नहीं होगा तो चलिए आपको पिछले 4 चुनावी आंकड़ों से समझाते हैं कि विंध्य में फतह हासिल करने के लिए कांग्रेस को एड़ी-चोटी का जोर लगाने की जरूरत है l
विंध्य की राजनीति……
गौरतलब है कि विंध्य क्षेत्र में भी जातिगत समीकरण हावी है l इस अंचल में ब्राह्मण, ठाकुर और पिछड़ा वर्ग से कुर्मी भी दबदबा रहा है l कभी कांग्रेस का मजबूत किला रहा विंध्य कई विधानसभा चुनावों से बीजेपी का अभेद्य किला बन गया है l बीजेपी यहां बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही है, 2003, 2008, 2013 और 2018 के चुनावों में बीजेपी को यहां कांग्रेस से ज्यादा सीटें मिली थीं, 2018 में भी जब कांग्रेस पार्टी कई सालों के बाद राज्य में सत्ता में लौटी तो उसे विंध्य में केवल 6 सीटों से ही संतोष करना पड़ा l साथ ही साथ इस क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी का भी अच्छा खासा दबदबा है और कई बार बहुजन समाज पार्टी ने कांग्रेस का खेल बिगड़ने का काम किया है l
2018 विधानसभा चुनाव…..
2018 के विधानसभा की बात करें तो इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 6 सीटें मिली थीं.क्षेत्र से चुनाव जीतकर कांग्रेस के 6 विधायक विधानसभा पहुंचे. हालांकि बाद में बिसाहूलाल सिंह बीजेपी में शामिल हो गए.2018 के चुनाव में बसपा 2 सीटों पर नंबर 2 की पोजीशन पर थी l वहीं 1-1 सीटों पर समाजवादी पार्टी और गोडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी दूसरे नंबर पर आए थे. यानी बीजेपी और कांग्रेस के अलावा दूसरे दलों को भी लोग यहां वोट देते हैं l