जर्जर भवनों से बच्चों को सुरक्षा, या खतरे की ओर धकेलना?
मझौली (जबलपुर):एक ओर सरकार और शिक्षा विभाग लगातार यह दावा कर रहे हैं कि बच्चों को सुरक्षित और सुविधायुक्त वातावरण में शिक्षा मिले, जिसके लिए जर्जर स्कूल भवनों को खाली कर अन्य सुरक्षित भवनों में शिफ्ट किया जा रहा है। परंतु मझौली नगर के वार्ड क्रमांक 11 में स्थित एक जर्जर भवन में शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय को स्थानांतरित करने का फरमान खुद जनपद शिक्षा केंद्र मझौली द्वारा जारी कर देना समझ से परे है।
स्थानीय नागरिकों और पालकों में इस फैसले को लेकर भारी नाराज़गी देखी जा रही है। लोगों का कहना है कि —
“जब अन्य विद्यालयों को खतरनाक भवनों से हटाया गया, तो फिर कन्या विद्यालय को ही इस तरह के जर्जर भवन में क्यों भेजा जा रहा है?”
खतरे में छात्राओं की जान?
स्थानीय निरीक्षण में यह बात सामने आई है कि जिस भवन में विद्यालय को शिफ्ट किया जा रहा है:
वहां छत से प्लास्टर झड़ रहा है
दीवारों में दरारें हैं,
बारिश के मौसम में पानी टपकता है,
और भवन की कोई मरम्मत नहीं हुई है।
जनपद शिक्षा केंद्र का रवैया तानाशाही जैसा
जानकारी के अनुसार, जनपद शिक्षा केंद्र मझौली के एक अधिकारी द्वारा यह आदेश जारी किया गया है, जिसे बिना किसी तकनीकी जांच, पीडब्ल्यूडी रिपोर्ट, या सुरक्षा मूल्यांकन के थोप दिया गया है।
मांग उठी – आदेश तत्काल निरस्त किया जाए
नगर के सामाजिक कार्यकर्ता और पालक संगठनों ने तहसील प्रशासन जनपद पंचायत और जिला शिक्षा अधिकारी जबलपुर से मांग की है कि:
1. छात्राओं को सुरक्षित भवन में ही स्थानांतरित किया जाए।
2. वार्ड 11 के उक्त भवन की तुरंत तकनीकी जांच कराई जाए।
3. जिम्मेदार अधिकारी पर कार्रवाई की जाए जिन्होंने बिना सुरक्षा मूल्यांकन के आदेश पारित किया।
इनका कहना है
संगीता बाई (पालक):हम अपनी बेटियों को कैसे भेजें ऐसे भवन में? अगर कुछ हादसा हो गया तो कौन जिम्मेदार होगा?”
राजू विश्वकर्मा (स्थानीय निवासी): “यह सीधे-सीधे छात्राओं की सुरक्षा से खिलवाड़ है। प्रशासन को तुरंत यह निर्णय वापस लेना चाहिए।”