सरकार के ही मंत्री और संचालक निजी स्वार्थ में कर रहे आदेशों की आभेलना
भोपाल
देखा जा रहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बार बार आदेशों के बाद भी प्रदेश में मछुवारों का शोषण लगातार बढ़ता जा रहा है और बढ़े भी क्यों न क्यों की जिन पर जिम्मेदारी सौंपी गई है वे ही पूंजीपतियों और बड़े बड़े ठेकेदारों से मिलकर जमकर अपने जेब भरने में लगे हैं
मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन द्वारा 20 जनवरी 2022 को आदेशित किया गया था की बांध तलाबो से फर्जी मछुवारों और ठेकेदारों हटाकर कराकर मछुवारों को दिया जाए।पर मुख्यमंत्री के आदेश के 8 महीने बीत जाने के बाद भी मछुवारों की स्थिति और खराब होती जा रहीं हैं* बही ताजा मामला बाणसागर से है जहां बाहरी लोगों से मछली पकड़ने से स्थानीय सामीतियों की रोजी रोटी पर खतरा मंडरा रहा है यह कोई नया मामला नही है इस प्रकार के प्रदेश में कई मामले है जिनसे मछुआ समाज को उसके पैतृक व्यवसाय से वंचित किया जा रहा है। डिंडोरी जिले के बिलगांव जलाशय हो या धार के पेटावट तालाब, भोपाल के घोड़ा पछाड़, या खरगोन जिले के जलाशय हो सभी जगह वंशानुगत मछुवारों के साथ शोषण हो रहा है और जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है और इस भ्रष्टाचार में मंत्री और संचालक की अहम भूमिका है तभी कई मामले सामने आने के बाद भी किसी पर कोई कार्रवाई नही होती
ठेकेदारों पूंजीपतियों और संचालक की यारी से जहा मछुआ समुदाय पर बेरोजगारी और भूखमरी जैसे हालात होते जा रहे हैं। तो वहीं दूसरी तरफ समुदाय का आक्रोश भी प्रदेश के मुखिया शिवराज सरकार पर बढ़ता दिखाई दे रहा है
जहां प्रदेश सरकार बार बार गरीबों के लिए योजनाएं चला रही है और उनके ही मंत्री व अधिकारी मनसूबो मे पानी फेरने मे लगे है और ज्ञ