लोक निर्माण मंत्री ने किया सिद्धि बाला बोस लायब्रेरी एसोसियेशन के शताब्दी समारोह का शुभारंभ
जबलपुर
प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री श्री राकेश सिंह ने कला और साहित्य के संरक्षण में बंग समाज के योगदान को अतुलनीय बताते हुए कहा है कि कोई भी संस्कृति तभी आगे बढ़ सकती है जब उसकी सांस्कृतिक विरासत नई पीढ़ी तक पहुंचती रहे, बंग समाज ने यह बखूबी किया है। लोक निर्माण मंत्री आज रविवार को बंग भाषियों की प्राचीन व प्रमुख संस्था सिटी बंगाली क्लब स्थित सिद्धी बाला बोस लाइब्रेरी एसोसियेशन का शताब्दी समारोह के शुभारंभ कार्यक्रम को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रहे थे।
श्री सिंह ने दीप प्रज्जवलित कर सिद्धी बाला बोस लाइब्रेरी एसोसियेशन शताब्दी समारोह का विधिवत शुभारंभ किया। वर्ष भर चलने वाले इस समारोह के शुभारंभ के अवसर पर श्री सिंह ने स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करते हुए शताब्दी गुब्बारे को आकाश में छोड़ा। श्री सिंह का बांग्ला रीति-रिवाज से स्वागत किया गया। इस दौरान शंख और ऊलू ध्वनि से पूरा सभागृह गूंज उठा। शताब्दी समारोह के शुभांरभ के कार्यक्रम की शुरूआत रविन्द्र संगीत और वंदेमातरम् गायन के साथ शुरूआत हुई साथ ही स्वागत नृत्य प्रस्तुत किया गया।
लोक निर्माण मंत्री श्री सिंह ने अपने संबोधन में सिद्धी बाला बोस लाइब्रेरी एसोसियेशन के शताब्दी समारोह की सफलता की कामना करते हुए कहा कि आज से सौ वर्ष पहले लाइब्रेरी की कल्पना करना और सौ वर्ष तक उसका सम्मानपूर्वक चलाने के साथ ही सामाजिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों का संचालन बंग समाज के संकल्प, समर्पण तथा साहस का ही परिणाम है। श्री सिंह ने कहा कि सिद्धी बाला बोस लाइब्रेरी एसोसियेशन के शताब्दी समारोह की शुरूआत ऐसे अवसर पर हो रही है जब पूरा देश स्वामी विवेकानंद की जयंती युवा दिवस के रूप में मना रहा है। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ऐसे महापुरूष थे जिन्होंने पूरी दुनिया में भारत के ज्ञान की अलख जगाई। स्वामी विवेकानंद जानते थे कि भारत एक दिन विश्वगुरू के पद पर आसीन होगा और इसे विश्वगुरू के पद पर आसीन करने वाले देश के युवा ही होंगे। स्वामी विवेकानंद चाहते थे कि युवाओं को शिक्षा के साथ-साथ चरित्र निर्माण और संस्कार की शिक्षा भी दी जायेगी। उनका मानना था कि बिना चरित्र निर्माण और बिना संस्कार की शिक्षा के युवा देश को विकास के रास्ते पर नहीं ले जा सकते।
लोक निर्माण मंत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के विचार आज कही ज्यादा प्रासंगिक हैं। यह अवसर है कि हम सभी स्वामी विवेकानंद के मार्ग का अनुसरण करते हुए देश को अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास करें। श्री सिंह ने कहा कि हमें इस बात की खुशी है कि स्वामी विवेकानंद के रूप में एक नरेन्द्र ने पूरी दुनिया में भारत के ज्ञान की अलख जगाई तो वहीं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के रूप में दूसरे नरेन्द्र ने पूरे विश्व में भारत को जिन ऊंचाईयों तक पहुंचाया उसकी कभी कल्पना नहीं की जा सकती थी। श्री सिंह ने कहा कि ये प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों का ही परिणाम है कि पूरे विश्व ने भारत के योग को आत्मसात किया है। लोक निर्माण मंत्री ने अपने संबोधन के अंत में सिद्धी बाला बोस लाइब्रेरी एसोसियेशन के वर्षभर चलने वाले शताब्दी समारोह की सफलता की कामना की। उन्होंने कहा कि बंग समाज इसी तरह एकजुटता के साथ अपने कार्यक्रमों को आगे बढ़ाता रहे और कला एवं संस्कृति का संरक्षण करते हुए सर्व समाज के लिए अनुकर्णीय प्रेरणा के रूप में हमेशा आगे दिखाई देता रहे।
विशिष्टजनों का हुआ सम्मान –
सिद्धी बाला बोस लाइब्रेरी एसोसियेशन के शताब्दी समारोह के शुभारंभ के अवसर पर बंग समाज की ओर से श्रीमति जयश्री बैनर्जी, श्रीमती प्रीति भादुडी, श्री एसपी दत्ता, श्री संदीप विश्वास, संतोश देवधरिया एवं मानतोश दत्त का सम्मान किया गया। इस अवसर पर शताब्दी ध्वज, प्रतीक चिन्ह और गीत का लोकार्पण भी किया गया। शताब्दी समारोह के शुभारंभ के मौके पर जबलपुर के विभिन्न बंगाली संस्था के पदाधिकारियों का सम्मान हुआ। इनमें डीबी क्लब विवेक व्हीएफजे, वेस्टलैण्ड खमरिया, रांझी कालीवाडी, रांझी बंगाली कॉलोनी, रामकृष्ण मिशन, आधारताल दुर्गा पूजा समिति, नर्मदा दुर्गा पूजा समिति, प्रेमनगर कालीवाडी, अग्रवाल कालोनी दुर्गा पूजा, दक्षिण जबलपुर बंगाली एसोसियेशन, नारी मंगल समिति, निखित भारत बंग साहित्य सम्मेलन, बंगाली समाज वेलफेयर सोसायटी, जगधात्री पूजा समिति, मनसा पूजा समिति, केन्ट दुर्गा उत्सव समिति, भारत सेवाश्रम आदि संस्था के पदाधिकारी शामिल थे।
शताब्दी समारोह के शुभारंभ के कार्यक्रम में प्रो. गायत्री सिन्हा, सुब्रत पाल, प्रकाश साहा, स्वामी सर्वेदानंद महाराज, स्वामी भूदेवानंद महाराज मंचासीन थे एवं आभार प्रदर्शन अभिजीत मुखर्जी एवं श्रीमती कृष्णा चटर्जी ने किया।