हर साल सर्दी के मौसम में दुकानों के बाहर टीन शेड के नीचे और सड़कों के किनारे ठंड से कई गरीब दम तोड़ देते हैं। इस बार भी अब तक गरीबों को ठंड से बचाने के इंतजाम नहीं किए गए हैं।
मझौली जबलपुर
न तो रैन बसेरे की व्यवस्था है और न ही अलाव जलवाए जा रहे हैं।
अलाव जलवाने के लिए नगर पालिका का स्वास्थ्य विभाग लगता है डीएम के आदेश का इंतजार कर रहा है
सर्दी ने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं।
नगर की सड़कों पर तमाम बे आसरा गरीब लोग कूड़ा जलाकर रात काटने को मजबूर हैं, लेकिन अब तक अलाव जलवाने की व्यवस्था नहीं की गई है
*रैन बसेरा के नाम पर नगर परिषद मझौली एक ही रैन-बसेरा था जिसे रातों रात तोड दिया गया*
वार्ड क्रमांक 8 में नगर परिषद कार्यालय द्वारा विद्युत विभाग के आधीन था और नगर परिषद के बिजली विभाग का कबाड़ रखा जाता था जिसके चलते ये रैन बसेरा भी खाली पडा रहता था। आज की तारीख में उसे भी रातों रात तोड़ दिया गया है अब नगर मझौली में रैन बसेरा ही नही है
और उसे गिराकर शापिंग काम्प्लेक्स भवन निर्माण कार्य किया जा रहा है
शाम होते ही रोडवेज,बस के साथ ही तमाम सड़कों के किनारे रिक्शा चालक और बे आसरा लोग कूड़ा जलाकर तापते देखे जाते हैं, लेकिन न तो ये गरीब जिला प्रशासन को दिखाई दे रहे हैं और न ही नगर पालिका को। पालिका सूत्रों की मानें तो हर साल शहर में लगभग 10 स्थानों पर अलाव जलाए जाते हैं।
डीएम का आदेश होने के बाद पालिका निधि से लकड़ी खरीद कर अलाव जलवाए जाते हैं, लेकिन अब तक डीएम की ओर से पालिका को कोई आदेश ही नहीं मिला है। शायद अधिकारियों की नींद तब टूटेगी जब फिर कोई बे आसरा सड़क किनारे ठिठुर कर दम तोड़ देगा।