नगर परिषद की बाजार बैठकी ठप्प
शिवम कुमार मझौली दर्पण
हाट बाजार बैठकी को लेकर नगर परिषद पूरी तरह उदासीन नजर आ रहा है लगभग 4 – 5 वर्षों से बाजार बैठकी व्यवस्था पूरी तरह ठप्प पड़ी हुई है । वावजूद इसके दैनिक बसूली का ठेका बगैर किसी सूचना विज्ञप्ति के राजनितिक सांठगांठ के चलते दे दिया है। इस संबंध में जानकर सूत्रों की मानें तो नगर परिषद ने बाजार बैठकी की व्यवस्था भले ही अपने हाथों में ले ली हो लेकिन बाजार बैठकी की पूरी वसूली का जिम्मा नगर परिषद कर्मचारियों द्वारा 4 – 5 वर्षों से किया जा रहा है जिसमें वसूली के लिए 4 से 6 युवकों को लगाया गया है।
समस्त वसूली का लेखा-जोखा कौन रख रहा है।
नगर परिषद कर्मचारियों के जरिए कहा जमा कराया जा रहा है ऐसा नहीं है कि मामले की जानकारी नगर परिषद के अधिकारियों को नहीं है संपूर्ण जानकारी होने के बावजूद भी नगर परिषद द्वारा बसूली का अवैध ठेका दिया गया है इन सभी कार्यकलापों में निचले स्तर से लेकर बड़े अधिकारियों व जनता के जनसेवकों की मिलीभगत होने से इनकार नहीं किया जा सकता । वसूली का अधिकांश हिस्सा ( रूपया ) अधिकारियों और जनसेवकों की जेबों में सीधा – सीधा जा रहा है।फुटपाथ पर छोटी मोटी दुकान ठेला लगाकर अपनी रोजी-रोटी चलाने वालों से वर्षों से दैनिक बसूली के नाम पर नगर परिषद कर्मचारियों के द्वारा अधिक रकम की अवैध वसूली जमकर की जा रही है। बावजूद इसके नगर प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी और जनसेवक मूकदर्शक बनकर अपनी जेबें भर रहे हैं ।
तय रकम से अधिक की वसूली
सूत्रों की माने तो नगर परिषद द्वारा तय रकम की रसीद काटने के बाद फुटपाथिक दुकानदारों से अधिक की वसूली की जाती है न रसीद भी नहीं दी जा रही। फुटपाथिक दुकानदारों द्वारा रसीद में लिखी तयरकम से अधिक मांगे जाने की रकम के विषय में अवैध वसूली करने वाले कर्मियों से पूछे जाने पर दुकान उठवा देने की धमकी तक दी जाती है इतना बोलते ही दुकानदार सहमकर चुप हो जाता है और अवैध मांगी गई रकम चुपचाप दे देता है । हालांकि दी गई जानकारी अनुसार जबतक टेंडर प्रक्रिया के तहत ठेकेदार के द्वारा की जाने वाली बाजार बैठकी की वसूली मासिक 1 लाख 50 हजार रुपए और वार्षिक 12 लाख रुपए का राजस्व नगर परिषद को प्राप्त होता था । टेंडर प्रक्रिया को बंद किए जाने के बाद राजस्व घटने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता । यदि नगर परिषद का राजस्व में घाटा हुआ तो इसकी भरपाई कैसे किन अधिकारियों कर्मचारियों से होगी मामले में नगर परिषद अधिकारी ही बखूबी बता सकते हैं ।
गुरु वार बाजार की अलग तय रकम की वसूली
प्रत्येक गुरुवार को बाजार प्लांट प्रांगण में लगाए जाने वाली गुरुवार बाजार में दुकान लगाने वालों से नगर परिषद द्वारा तय रकम से लगभग 5 से 10 गुना अधिक रकम वसूली किया जाना बताया जाता है । नगर निगम प्रशासन ने बाजार बैठकी का ठेका ( टेंडर ) लगभग 11 – 12 वर्षों से नहीं किया और सारी वसूली का जिम्मा नगर परिषद कर्मियों को सौंप दिया वाबजूद इसके नगर परिषद कर्मियों द्वारा वसूली के लिए लगाया जाना कई सवालों को जन्म देता है ।