भारत में पहली बार भ्रष्टाचार पर डायनामाइट प्रहार, 8 सौ करोड़ में 13 साल में बनी कुतुबमीनार से ऊंची गगनचुम्बी इमारत महज 10 सेकंड में जमींदोज
दिल्ली नोएडा
दिल्ली से सटे नोएडा में कुतुबमीनार से ऊंचे दो रिहायशी टावर एक ब्लास्ट के साथ ही पल भर में मिट्टी में मिल गए। ट्विन टावरों (Twin Towers) को गिराने का काम वाटरफॉल इंप्लोजन तकनीक (Waterfall Implosion Technique) के जरिए किया गया। इस टेक्निक से बहुमंजिला इमारत ताश के पत्तों की तरह कुछ ही सेकेंड में नीचे गिर गया। वाटरफॉल तकनीक का मतलब है कि मलबा पानी की तरह गिरेगा। यह तकनीक शहरों में इमारतों को ध्वस्त करने के काम आती है, जिसमें नियंत्रित विस्फोटों की आवश्यकता होती है। अगर ऐसा नहीं होगा तो एक विस्फोट में मलबा दूर-दूर तक फैल जाएगा, जो बहुत नुकसान पहुंचा सकता है। मलबे के ढहने के बाद उस पर पानियों के बौछार की जा रही है। पूरे इलाके में धूल का गुब्बारा छा गया है।
भारत वर्ष के इतिहास में पहली बार डायनामाइट के जरिए सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार की इमारत को जमींदोज करने का आदेश दिया है। सालों की लंबी लड़ाई के बाद भ्रष्टाचार के सुपरटेक के ट्विन टावर एपेक्स और सियान को आज रविवार दोपहर 02:30 बजे एक बटन दबाकर 10 सेकेंड में ढहा दिया गया। जाएगा। एडफिस कंपनी के इंडियन ब्लास्टर चेतन दत्ता सुपरटेक के दोनों टावर को ध्वस्त करने के लिए ट्रिगर दबाया। इसे गिराने में 3500 किलो विस्फोटक का प्रयोग किया गया है। बिल्डिंग को विस्फोट से उड़ाने से पहले सुरक्षा व्यवस्था मजबूत की गई तथा आसपास के रिहायशी इलाकों को खाली कराया गया है। भारी पुलिस बल तैना है। धारा-144 लागू कर दी गई है।