माझी आरक्षण का अधिकार नीति से नहीं राजनीति से ही मिलेगा
मध्य प्रदेश
अमर नोरिया ( पत्रकार )
नरसिंहपुर,
प्रदेश की राजनीति में पहले से जातिवाद के आधार पर चुनाव में लोगों को महत्व दिया जाता था और प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस अपने जातिगत समीकरण के आधार पर लोगों को टिकट भी देते थे किंतु हमारे समाज को वोटों की राजनीति के रूप में उपयोग किया जाता था और सत्ता में सहभागिता के नाम पर संगठनों में छोटे-छोटे पदों पर नियुक्ति देकर हमें ऐसा जताया जाता था कि राजनीतिक दल और उनके नेता हमारे हितैषी हैं । वर्तमान समय में समाज में जनजागरण के माध्यम से राजनीति एकजुटता और जागरूकता का माहौल बना हुआ है इसके चलते संपन्न हुए नगर पालिका और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में समाज ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है । आने वाले 2023 के विधानसभा चुनाव में भी समाज अपने राजनीति हिस्सेदारी और राजनीतिक एकजुटता को लेकर मध्यप्रदेश में अपनी स्पष्ट पहचान छोड़ेगा,ऐसा हम सभी साथियों का प्रयास है और हम आने वाले समय में अपने अभियान को व्यापक रूप से मध्यप्रदेश की उन महत्वपूर्ण विधानसभा सीटों पर पूरा ध्यान केंद्रित कर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की तैयारी में लगे हुए हैं । जिन विधानसभा क्षेत्रों में हमारा समाज 5000 से लेकर 25000 के बीच की मतदाताओं की संख्या में निवास कर रहा है हम उन विधानसभा क्षेत्रों में राजनीतिक रूप से समाज को अपने जनजाति के आरक्षण और वंशानुगत रोजगार के माध्यम सहित शासन की योजनाओं के लाभ न दिये जाने को लेकर समाज की एकजुटता हेतु आवाज उठा रहे हैं । जैसा कि देखने में आ रहा है कि हमारे प्रदेश में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में प्रदेश के 16 विधानसभा क्षेत्रों में लड़े गए चुनाव का नतीजा भले हमारे आपेक्षाओं के अनुरूप नहीं रहा हो किन्तु उसके चलते प्रदेश की राजनीतिक में हमारी समाज की राजनीतिक जागरूकता को लेकर प्रमुख राजनीतिक दलों ने हमारे समाज की प्रमुख मांगों व समस्याओं को लेकर सामाजिक जनों के साथ चर्चाओं व बैठकों का दौर प्रारम्भ कर दिया है और इन दलों के लिये काम करने वाले हमारे साथी भी हमारे जनजागरण अभियान को लगातार आगे बढ़ा रहे हैं । मध्यप्रदेश में इस वर्ष के अंत मे होनेवाले विधानसभा चुनाव के पहले हम उन सभी विधानसभा क्षेत्रों में अपने समाज की राजनीतिक एकजुटता की एक पहचान स्थापित कर देंगे जिन क्षेत्रों में माझी समाज पिछले विधानसभा चुनाव व संपन्न हुए नगरपालिका व त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सक्रिय रहा था । राजनीतिक एकजुटता के इस अभियान की शुरुआत हम नर्मदांचल क्षेत्र की तेंदूखेड़ा विधानसभा से कर चुके हैं और क्षेत्र की अन्य विधानसभा क्षेत्र में हम लगातार सामाजिक बैठकों, कार्यक्रमों व धार्मिक आयोजनों के माध्यम से कर रहे हैं और समाज की बेठको व कार्यक्रमों में प्रमुखता से यह बता रहे हैं कि सवर्णों को 10 प्रतिशत का जो आरक्षण राजनीति से मिला है और सरकार की नीतियों के चलते हम अपने आरक्षण के अधिकार से वंचित हैं नीतियों के चलते ही नावघाट,रेतवाड़ी और तालाबो पर हमारा अधिकार समाप्त होता जा रहा है तब लगता है हमें भी हमारा माझी आरक्षण का अधिकार व वंशानुगत रोजगार नीति से मिलना होता तो लगभग 31 वर्ष से लगातार संघर्ष करते हुए अब तक मिल गया होता और यह संवेधानिक अधिकार हमें नीति से नहीं राजनीति से ही मिलेगा यह बात हमें अब जान लेना चाहिये और सभी को इसपर गम्भीरता से विचार करना चाहिये ।