मध्य प्रदेश की सियासत में राजनीतिक गर्माहट महाराज के बदले अंदाज झुकने लगा सरकार का खेमा
पंकज पाराशर छतरपुर✍️
मध्य प्रदेश की राजनीति में ‘महाराज’ के बदले हुए अंदाज से सियासी गर्माहट बढ़ती जा रही है। इससे ‘सरकार’ के खेमे में खलबली है, लेकिन विरोध-समर्थन का खेल सार्वजनिक होने में वक्त लगेगा, क्योंकि पिक्चर अभी धुंधली है। सिंधिया अपनी महाराज वाली छाप मिटा तो नहीं रहे, लेकिन इसे अपना अतीत बताकर नई छवि गढ़ने में जुट गए हैं। ऐसा पहली बार हुआ, जब उन्होंने ग्वालियर में दलित वर्ग के कार्यक्रम में शिरकत की। इस दौरान उन्होंने ना केवल अपने हाथ से खाना परोसा, बल्कि उनके साथ बैठकर एक थाली में खाया भी।
संभवत: यह पहला मौका था, जब सिंधिया राजघराने के किसी व्यक्ति ने इस वर्ग के कार्यक्रम में साथ बैठकर खाना खाया हो। वैसे तो यह बीजेपी का एजेंडा है, लेकिन सिंधिया का इस पर अमल करना कई सियासी संदेश देता है। वे जल्दी लोगों से घुलने-मिलने की कोशिश करने लगे। छोटे से लेकर बड़े कार्यकर्ता के घर तक जाने में उन्हें अब गुरेज नहीं। यही कारण है कि उनके चाहने वालों की बीजेपी में भी संख्या तेजी से बढ़ रही है। सुना है कि जो कभी विरोधी थे, वे भी ‘महाराज’ से नजदीकियां बढ़ाने में पीछे नहीं हैं।
‘सरकार’ के लिए चिंता वाली बात यह है कि उनके भरोसेमंदों की राजनीतिक आस्था डांवाडोल दिख रही है। इनमें से कुछ ‘महाराज’ से मेलजोल बढ़ा रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि ‘सरकार’ को इसका अंदाजा नहीं है। वे कोई राजनीति के कच्चे खिलाड़ी नहीं हैं। इंटेलीजेंस की आंखों से वे सब देख रहे हैं।
*‘सरकार’ के सामने पंडितजी को CM बनाने के लगे नारे*
पिछले दिनों ‘सरकार’ धार्मिक यात्रा पर पहले दतिया और फिर मैहर गए थे। वे जब पाठ-पूजा कर मंदिर के बाहर आए तो पार्टी के नेता-कार्यकर्ता उनके स्वागत के लिए तैनात थे। इस बीच कुछ कार्यकर्ताओं ने नारे लगाना शुरू कर दिए ‘देश का नेता कैसा हो, नरोत्तम मिश्रा जैसा हो, यह सुनते ही स्थानीय नेता अवाक रह गए। ‘सरकार’ ने मुस्कुराते हुए अपना स्वागत स्वीकार किया और रवाना हो गए। ये कार्यकर्ता किसके समर्थक थे और किसके निर्देश पर नारे लगा रहे थे, इसकी जानकारी ‘सरकार’ के भोपाल पहुंचते ही उन तक पहुंच गई। राज्य के खुफिया तंत्र ने पूरी रिपोर्ट उन्हें सौंप दी। सुना है कि मैहर के ही एक बीजेपी नेता के समर्थकों ने ये नारे लगाए थे। ये वही नेता हैं, जो ‘सरकार’ की कार्यप्रणाली को लेकर पत्र लिखकर सवाल खड़े करते हैं। जो कुछ भी हो उनका पंडितजी के साथ ‘खेला’ करने का दांव फेल हो गया l