बुद्ध कहते है,
यदि कर्म करते हो और फल नहीं मिलता तो उसका कारण खोजो।
यह आप पर निर्भर करता है कि आप किसकी बात मानते है।
पहला कहता है कर्म करो और फल की चिंता ना करो ज़ाहिर है जब फल की चिंता नही करेंगे तो फल तो मिलेगा ही पर फल कौन खाएगा यह तय नहीं है।आपकी मेहनत का फल कोई ओर खाए तो भी आपको चिंता नहीं होनी चाहिए। बचपन से यही सिखाया गया है नतीजा मेहनत कोई कर रहा है और फल कोई ओर खा रहा है ..हज़ारों वर्षों से यही होता रहा है।
दूसरा कहता है अगर मेहनत करते है तो फल की भी चिंता कीजिए और अगर आपको फल नहीं मिले तो उसका कारण अवश्य खोजें कि आपको फल क्यों नहीं मिल रहा है। कहीं ऐसा तो नहीं कि हमारी मेहनत का फल कोई ओर खा रहा हो।
कृष्ण ने कहा,
सब कुछ मेरे हाथ में है मेरी मर्ज़ी के बिना पत्ता भी नहीं हिलता।
बुद्ध ने कहा,
कोई ऊपर वाला नहीं है आपकी ज़िन्दगी के कर्ता-धर्ता सब आप ही है और सब कुछ आपके ही हाथ में है।
कृष्णा कहते हैं,
दुखः सुख सब मेरे हाथ में है सबका कारण मैं ही हूँ आप कुछ भी कर लें होगा वही जो मैं चाहूँगा।
बुद्ध ने कहा,
दुनिया में दुःख है तो उसका कारण भी है और कारण है तो दुनिया में उसका निवारण भी है और निवारण सिर्फ़ आपके हाथ में है।
अब आपके सामने दोंनो रास्ते हैं यह आप पर निर्भर करता है कि आप किनकी बातों को मानकर आगे बढ़ना चाहते हैं ।
मुझे बुध्द की बात ज्यादा तार्किक लगती है इसलिए मैं बुध्द की शरण में जाना चाहूँगा।
बुध्द के रस्ते पर चलना चाहूँगा।
एक बात और कृष्ण बनना आसान है बुध्द बनना आसान नहीं पर हाँ थोङा मुश्किल जरूर है…
✍️ सीधी-सी बात