जनपद पंचायत मझौली में वर्षों से पंचायत विभाग द्वारा स्वीकृत किए जा रहे टेंडरों को लेकर बड़ा सवाल उठाया गया है।
मझौली जबलपुर
ग्राम मझौली निवासी बारे लाल ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत जिला पंचायत कार्यालय से मांगी गई जानकारी में पूछा है कि पंचायत पदाधिकारियों और कर्मचारियों के करीबी रिश्तेदार किन-किन फर्मों का संचालन कर रहे हैं और क्या उन्हें विभागीय अनुशासन के विरुद्ध टेंडर दिए गए हैं?
आरटीआई में खास तौर पर तीन गंभीर बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई है:
क्या विभाग यह सत्यापित करता है कि किसी फर्म का संचालन पंचायत पदाधिकारी या कर्मचारी के परिवार द्वारा तो नहीं हो रहा?
2019 से 2025 तक विकासखंड मझौली में पंजीकृत फर्मों की सूची, उनके स्वामियों और पंचायतों के नाम सहित।
और सबसे अहम, किन फर्मों के संचालक जनप्रतिनिधियों या अधिकारियों के करीबी रिश्तेदार हैं, जैसे पति/पत्नी, पुत्र/पुत्री आदि?
इसके अलावा आवेदन में यह भी पूछा गया है कि पंचायत विभाग द्वारा वेंडरों से कोई घोषणा-पत्र या प्रमाण-पत्र लिया जाता है या नहीं, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि किसी भी प्रकार का हितों का टकराव (Conflict of Interest) न हो।
बारे लाल ने यह भी जानकारी चाही है कि यदि नियमों का उल्लंघन हुआ है तो अब तक क्या कोई कार्रवाई की गई है? यदि की गई है तो उसकी प्रति और विवरण भी मांगा गया है।
विचारणीय मुद्दा: पारदर्शिता बनाम परिवारवाद
इस आरटीआई के माध्यम से स्थानीय प्रशासन की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हुए हैं। यदि वाकई में फर्मों के संचालन में जनप्रतिनिधियों के परिवारजनों की भागीदारी है, तो यह हितों के टकराव का मामला बन सकता है। जिससे न केवल विभागीय नियमों का उल्लंघन होता है, बल्कि ईमानदार निविदाकारों के साथ भी अन्याय होता है।
स्थानीय जनता में चर्चा
इस पूरे मामले को लेकर क्षेत्र में चर्चाओं का दौर तेज हो गया है। लोगों का कहना है कि यदि आरटीआई में मांगी गई सूचनाएं सार्वजनिक होती हैं और उसमें गड़बड़ियां सामने आती हैं, तो यह मझौली क्षेत्र के पंचायत तंत्र की कार्यप्रणाली पर एक बड़ा सवाल होगा।