बच्चों को ठूस ठूस कर बैठाते है, ONICS स्कूल मझौली का मामला
मझोली -जबलपुर
मझौली के ओनिक्स इंग्लिश मीडियम स्कूल का मामला, शासकीय नियमों की उड़ा रहे धज्जियां।
बच्चों की जान की जिम्मेदारी किसकी
स्कूली बस में अक्सर लिखा होता है, सावधान बच्चे बैठे है, स्पीड लिमिट के साथ स्कूल प्रबंधन का नंबर भी लिखना अनिवार्य होता है,
यह शासकीय नियम कहता है।
जिससे स्कूली बसों में किसी भी प्रकार की अनहोनी होने से बचे। जबलपुर जिले में ताज़ा मामला सामने आया है जहां शासन के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। सिहोरा मझौली रोड ओनिक्स अंग्रेजी माध्यम स्कूल में बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।इधर न तो बसों के पूरे कागज उपलब्ध है न ही कोई परमिट न ही गाड़ी का कोई इंश्योरेंस फिर भी ऑनिक्स स्कूल का प्रबंधन 15 साल पुरानी खटारा बस क्रमांक CG04E1869 में बैठाकर अपने छात्रों की जान से खिलवाड़ कर रहा है। स्कूल प्रबंधन से जब मीडिया ने इस विषय में जानकारी लेना चाही तो वह गोलमोल जवाब देता नजर आया।
स्कूल के असली मालिक इंदु पटेल अपना नाम कैमरे के सामने शशि बता रही है, प्रिंसिपल कह रहे है कोविड में हमारे पास पैसा नहीं था इसलिए नई बस नहीं ले सके लेकिन बच्चों से स्कूली फीस में कोई कमी नहीं की गई ।
छोटे छोटे कमरों से बन गया स्कूल, शासकीय नियमों का पालन नहीं
आम आदमी अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई से अपने बच्चों की अच्छी शिक्षा और परविरश के लिए बेहतर स्कूल भेजता है। प्राइवेट स्कूलों में महंगी फीस, महंगी किताबो का बोझ अभिवावक पर हमेशा रहता है । महंगी फीस के बाबजूद जबलपुर के लमकना मोड़ स्थित
छोटे छोटे बच्चों से महंगी फीस ली जाती है लेकिन उन्हें जमीन में बैठाकर 10×10 के कमरों में जबरदस्ती बैठाया जाता है ।
दूसरा कि जो बच्चे LKG UKG से लेकर चौथी कक्षा में पढ़ते है उन्हें, न तो पीने के लिए ढंग से पानी मिलता है , न ही खेलकूद का कोई मैदान है। स्कूली बाउंड्री के साथ न ही कोई गार्ड की व्यवस्था इस स्कूल में है। बच्चो के माता पिता की गाढ़ी कमाई के साथ प्राइवेट स्कूल खिलवाड़ करते है और स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी कभी झांकने भी नहीं पहुंचते कि प्राइवेट स्कूल हो या शासकीय वहां शिक्षा के साथ क्या छात्रों को मूलभूत सुविधा से वंचित तो नहीं किया जा रहा??