मझौली में आम के पेड़ों की अवैध कटाई पर राजस्व विभाग एवं नगर परिषद की निष्क्रियता को उजागर करता है:
मझौली (जबलपुर)
एक ओर प्रदेश सरकार पर्यावरण संरक्षण और “एक पेड़ मां के नाम जैसी योजनाओं से जनता को वृक्षारोपण के लिए प्रेरित कर रही है, वहीं दूसरी ओर मझौली नगर परिषद क्षेत्र में बिना अनुमति आम के हरे-भरे पेड़ों की कटाई खुलेआम जारी है।
सबसे हैरानी की बात यह है कि घटना की जानकारी होने के बावजूद न तो नगर परिषद और न ही राजस्व विभाग द्वारा कोई जब्ती, पंचनामा या दंडात्मक कार्रवाई की जा रही है।
कत्लगाह बनते पेड़ — पर कार्रवाई नहीं
हाल ही में वार्ड क्रमांक 11 और आसपास के क्षेत्रों में आम के कई पेड़ों को रातोंरात काट दिया गया। स्थानीय नागरिकों ने इसकी जानकारी राजस्व अमले और नगर परिषद अधिकारियों को दी, लेकिन आज तक कोई पेड़ जप्त नहीं हुआ न ही जिम्मेदारों के खिलाफ धारा 35(2) भारतीय वन अधिनियम के तहत मामला दर्ज हुआ।
कानून का उल्लंघन:
बिना अनुमति पेड़ काटना भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 35(2) और
नगर पालिका अधिनियम की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध है।
संबंधित पेड़ की जप्ती, जुर्माना व कानूनी कार्रवाई अनिवार्य है।
जनता की मांग:
1. काटे गए पेड़ों की जांच और जप्ती की कार्रवाई तत्काल की जाए।
2. संबंधित व्यक्ति/ठेकेदार/विभागीय जिम्मेदारों पर मामला दर्ज किया जाए।
3. पूरे क्षेत्र में कटे पेड़ों की सूची व पंचनामा सार्वजनिक किया जाए।
4. नगर परिषद और राजस्व विभाग की लापरवाही पर जांच बैठाई जाए।
स्थानीय लोगों का आरोप:
“पर्यावरण बचाओ सिर्फ नारों तक सीमित है। जब हरियाली बचाने की बात आती है, तो अधिकारी आंख मूंद लेते हैं।
पारस विश्वकर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता
“हमने कई बार लिखित में शिकायत की, लेकिन अधिकारी टाल-मटोल करते रहे। पेड़ कटते रहे, कोई नहीं आया।
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