11 राशन दुकानों के संचालकों और 4 अफसरों सहित 33 पर FIR दर्ज
जबलपुर
मध्यप्रदेश की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में बड़ा घोटाला सामने आया है। जबलपुर जिले की 11 उचित मूल्य की दुकानों पर ₹2,20,12,460 मूल्य का खाद्यान्न अवैध रूप से गायब कर दिया गया। जांच में पाया गया कि दुकानों के संचालकों ने शासकीय अफसरों से मिलीभगत कर पीओएस मशीन और AcPDS पोर्टल से स्टॉक “घटाकर” रिकॉर्ड में हेरफेर किया।
कमिश्नर (फूड) के निर्देश पर हुई जांच में 33 लोगों — 29 राशन दुकानों के संचालक/सदस्य और 4 शासकीय कर्मचारियों — को दोषी पाया गया है। इनके खिलाफ क्राइम ब्रांच थाने में FIR दर्ज कराई गई है।
कैसे हुआ घोटाला?
NIC हैदराबाद की जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि –
31 अगस्त से 31 अक्टूबर 2022 के बीच 4 बार पोर्टल से राशन का स्टॉक कम किया गया।
यूजर आईडी jso\_2363702 और jso\_23637** से अवैध लॉगिन कर राशन का स्टॉक घटाया गया।
दो संदिग्ध IP एड्रेस (27.56.249.185 और 157.34.236.76) से यह काम हुआ, जो खाद्य संचालनालय के नहीं थे।
इसी दौरान कुल 391.78 MT गेहूं, 338.78 MT चावल, 3.02 MT नमक और 0.97 MT शक्कर** “गायब” कर दी गई।
मौके पर मिली गड़बड़ी
भौतिक सत्यापन में राशन दुकानों पर भारी कमी पाई गई। उदाहरण स्वरूप –
मां शारदा देवी महिला उपभोक्ता सहकारी भंडार** : 1336 क्विंटल गेहूं और 1095 क्विंटल चावल कम।
पूजा उपभोक्ता सहकारी भंडार** : 546 क्विंटल गेहूं और 618 क्विंटल चावल कम।
नर्मदा उपभोक्ता सहकारी भंडार** : 296 क्विंटल गेहूं और 85 क्विंटल चावल कम।
कुल मिलाकर 11 दुकानों से लगभग 730 मीट्रिक टन अनाज और सामग्री की अफरातफरी की गई।
33 लोगों पर मामला दर्ज
FIR में शामिल नामचीन संचालक और अफसर:
अमर उपभोक्ता भंडार की **कविता नेचलानी और विक्रेता आकाश नेचलानी
पूजा उपभोक्ता भंडार की प्रीति अवस्थी
मां शारदा देवी भंडार की किरण जायसवाल
संत रविदास नगर भंडार की मीना चौधरी
मां नर्मदेश्वर भंडार के दिनेश नेचलानी
आदित्य भंडार के हार्दिक धनोरिया
शिवशक्ति भंडार के अंशु जायसवाल
सिटी भंडार के हामिद मंसूरी
साथ ही कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी भावना तिवारी और सुचिता दुबे जिला आपूर्ति नियंत्रक नुजहत बानो बकाई और डीपीएमयू अधिकारी अक्षय कुमार खरे भी नामजद।
कानून के तहत अपराध
आरोपियों पर भारतीय न्याय संहिता 2023 की संबंधित धाराओं के साथ-साथ –
मध्यप्रदेश सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश, 2015 की कण्डिका 13(2)
*आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 3 सहपठित धारा 7 के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है।
जांच दल की 140 पृष्ठ की रिपोर्ट के आधार पर एफआईआर दर्ज हो चुकी है। प्रशासन का दावा है कि आगे अनियमितताओं की गहराई से जांच कर अन्य संबंधितों को भी घेरा जाएगा।
स्थानीय स्तर पर इसे अब तक का सबसे बड़ा राशन घोटाला माना जा रहा है, जिसमें जनता के हक का अनाज ग़ायब कर “अनधिकृत लाभ” कमाया गया।