भाजपा सरकार द्वारा हर नियुक्ति में ओबीसी की की जा रही हकमारी-लौटनराम निषाद
बलिया
।इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा उत्तर प्रदेश उच्चतर न्यायिक सेवा-2020 की सीधी भर्ती में ओबीसी,एससी, एसटी को कोटा न देकर सभी 31 न्यायिक अधिकारियों के पद पर सामान्य वर्ग की नियुक्ति कर दी गयी है।भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ.लौटनराम निषाद ने कहा कि भाजपा की सरकार में जो भी नियुक्तियां हो रही हैं,उसमे ओबीसी,एससी वर्ग की हकमारी की जा रही है।उत्तर प्रदेश सरकार की आरक्षण नियमावली के अनुसार ओबीसी को 27%,एससी को 21%,एसटी को 2% व ईडब्ल्यूएस(आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों) को 10% कोटा निर्धारित है और 40 प्रतिशत पद अनारक्षित है।उत्तर प्रदेश उच्चतर न्यायिक सेवा-2020 के तहत 31 न्यायिक अधिकारियों के चयन के लिए 25-27 मार्च,2022 को लिखित परीक्षा कराई गई।लिखित परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों का 1 व 2 अगस्त,2022 को साक्षात्कार लिया गया। 12 सितम्बर को घोषित परिणाम की सूची में सभी 31 सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी हैं।उन्होंने कहा कि आरक्षण नियमावली का अनुपालन करते हुए नियुक्ति प्रक्रिया को अपनाया गया होता तो ओबीसी के 8,एससी के 6/7 व एसटी के 1 न्यायिक अधिकारी चयनित हुए होते।
निषाद ने बताया कि उ.प्र.न्यायिक सेवा आयोग,उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग,माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग,उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग,बेसिक शिक्षा परिषद भर्ती, अशासकीय महाविद्यालय प्राचार्य भर्ती में पिछड़ों, दलितों के आरक्षण कोटे की हकमारी की गई।उन्होंने बताया कि खण्ड शिक्षा अधिकारी के 309 पदों पर की गई भर्ती में ओबीसी को मात्र 10 प्रतिशत कोटा दिया गया और सीधे सीधे 17 प्रतिशत की हकमारी की गई।ओवरलैपिंग कराने के नाम पर पिछड़ों का नुकसान किया जा रहा है।आरक्षण नियमावली के तहत 309 में ओबीसी के 83,एससी के 65,एसटी के 6 व ईडब्ल्यूएस के 31 खंड शिक्षा अधिकारी चयनित होने चाहिए।आरक्षण कोटा से मात्र 31 यानी 10% बीईओ ओबीसी वर्ग के चयनित किये गए,ओबीसी की 53 सीटों की हकमारी की गई।ओबीसी के 29 उम्मीदवार मेरिट के आधार पफ अनारक्षित में चयनित हुए।आरक्षण नियमावली का पालन होता तो 113 ओबीसी के उम्मीदवार बीईओ चयनित हुए होते।ईडब्ल्यूएस के अनारक्षित में 26 उम्मीदवार ओवरलैप किये और उन्हें 10 प्रतिशत कोटा के अनुसार 30 के साथ 56 सीटें मिलीं।अनुसूचित जाति के 6 अनारक्षित सहित कुल 87 उम्मीदवार चयनित हुए और एसटी के किसी भी उम्मीदवार को खण्ड शिक्षा अधिकारी बनने का मौका नहीं मिला।
निषाद ने कहा कि लोक सेवा आयोग द्वारा 86 में 56 यादव एसडीएम बनाने का झूठा दुष्प्रचार कर भाजपा व आरएसएस ने यादव-गैर यादव पिछड़ी दलित जातियों के बीच नफरत की दीवार खड़ी कर दिया।जब कोई एसपी, डीएम,सीओ,थाना प्रभारी,चौकी प्रभारी पदस्थ होता था तो उसे मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव का रिश्तेदार बताकर एक जाति विशेष की सरकार प्रचारित किया जाता था।वर्तमान में डीएम, कमिश्नर, एसएसपी, एसपी, एसडीएम, सीओ,थाना व चौकी प्रभारी, बीएसए,डीआईओएस,सीएमओ आदि के पदों पर 90 प्रतिशत से अधिक 2 जातियों के ही हैं।सपा,बसपा की सरकार में जातिवाद का हल्ला करने वाले भाजपा व आरएसएस वालों को वर्तमान सरकार में जातिवाद नहीं रामराज दिख रहा है।उत्तर प्रदेश सरकार में 20 ओबीसी व 9 एससी/एसटी मंत्री हैं,पर निजस्वार्थ में चुपमंत्री बनकर ओबीसी,एससी की हकमारी करा रहे हैं।भाजपा के पिछड़े दलित नेताओं का ज़मीर मर गया है।उनकी औकात एक चपरासी, सिपाही, प्राइमरी के शिक्षक की नौकरी दिलवाना तो दूर स्थानांतरण करवाने व रुकवाने की नहीं है।