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Sunday, February 23, 2025

निजीकरण एक “गुलामी का पेंच” है, जो धीरे-धीरे आपका गला घोंट देगा

भारत में कई पढ़े-लिखे लोग भी निजीकरण को बहुत हल्के में ले रहे हैं

देश
वह समय दूर नहीं जब इतिहास पढ़ाया जाएगा ! जो भारत की आखिरी सरकारी ट्रेन, आखिरी सरकारी बस,आखिरी सरकारी बिजली कंपनी, आखिरी सरकारी हवाई अड्डा और आखिरी सार्वजनिक उद्यम (कंपनी) भी था ?

यदि किसी सरकारी उपक्रम या सरकारी संस्थान का निजीकरण किया जाता है, तो आम जनता की चुप्पी एक दिन पूरे देश को भारी पड़ेगी। क्योंकि,जब*
सारे स्कूल,
सारे अस्पताल,
सारे रेलवे स्टेशन,
एयरपोर्ट, बिजली, पानी, सब निजी हाथों में होंगे ! तो आप देखेंगे कि तानाशाही क्या होती है ?

याद रखें, सरकार और सरकार की पहल का लक्ष्य न्यूनतम लागत पर अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचना है। अतः निजी कम्पनियों का लक्ष्य न्यूनतम लागत के साथ अधिक से अधिक लाभ कमाना है।
इसमें कोई संदेह नहीं है,कि इससे वर्तमान की तुलना में अधिक बेरोजगारी और अल्प-रोजगार होगा।

उदाहरण के लिए आज निजी स्कूलों, निजी अस्पतालों का हाल देखिए! आम आदमी के घर-बार और जमीन स्कूल और अस्पताल में प्रवेश करते ही बिक जाएगा।

निजीकरण की साजिश पर लोगों की चुप्पी देश को कुछ उद्योगपतियों के द्वारा गुलाम बनाने की नीति के अनुकूल है।

*तो आप जागो और अपने देश और देश की सार्वजनिक संपत्ति को बचाओ। रेलवे को बचाना है, सरकारी अस्पतालों और शिक्षण संस्थानों को बचाना है, सरकारी बिजली कंपनियों (CSEB), LIC, बीएसएनएल, एयर इंडिया और डाकघरों को बचाना है, सरकारी कर्मचारियों और सरकारी विभागों को बचाना है। ईस्ट इंडिया ब्रिटिश कंपनी की याद आती है। व्यापार के लिए आया और डेढ़ सौ साल तक शासन किया।

मुश्किल से जनता के काम करने के लिए सरकारी विभाग ही आगे आते हैं, आम जनता के लिए कोई निजी क्षेत्र काम नहीं करता, जिसका उदाहरण आपने हाल ही में देखा होगा.. मजदूरों, श्रमिकों और छात्रों को ले जा रही निजी बसें…? कितने निजी संगठन और गैर सरकारी संगठन जमीनी स्तर पर लोगों की मदद कर रहे थे…?
कौन सी निजी एयरलाइन कोविड कॉल में भारतीयों को एयरलिफ्ट कर रही थी ?
कितने प्राइवेट पायलटों ने तालिबान में घुसपैठ कर देशवासियों को निकाला बाहर?

इसलिए हर भारतीय नागरिक को निजीकरण का विरोध करना चाहिए, नहीं तो भविष्य में कुछ उद्योगपति ही इस देश को अपने घर से चलाएंगे और पूर्वी भारत का युग फिर से आएगा, इस बार सत्ता और अधिकार उन्हीं के हाथ में होगा जो ऐसा सोचते हैं।।

राजनीतिक सत्ता तो दिखावा बनकर रह जाएगी, यह बात निजीकरण के कबाड़ लोग समझ नहीं पा रहे हैं, क्योंकि कुछ लोग अपने दिमाग से खेल रहे हैं..! बस दो ही तरीके हैं, , जो कि संभव नहीं ताकि गरीब और मध्यम वर्ग रह सके।

पूर्व: जिओ रिचार्ज डाटा…
पहली बार.. फ्री
बाद में रु. 49/-
फिर रु. 99/-
बाद में रु. 149/-
तो फिर 199/-
बाद में रु. 249/-
फिर रु. 299/-
रु. 399/-
रु. 499/-
रु. 599/-
रु. 699/-
और अब रु. 720/-
सिर्फ 5 साल में 49 रुपए से 720 रुपए 1400% की बढ़ोतरी हुई

इससे भारतीय नागरिकों को इसका प्रभाव पड़ेगा या इसका प्रभाव सरकार,के जनप्रतिनिधियों पर पड़ेगा।

सुंदरलाल बर्मन
सुंदरलाल बर्मनhttps://majholidarpan.com/
Sundar Lal barman (41 years) is the editor of MajholiDarpan.com. He has approximately 10 years of experience in the publishing and newspaper business and has been a part of the organization for the same number of years. He is responsible for our long-term vision and monitoring our Company’s performance and devising the overall business plans. Under his Dynamic leadership with a clear future vision, the company has progressed to become one of Hindi e-newspaper , with Jabalpur district.

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