जबलपुर जिले की मझौली नगर में यही ज़हरीला सिरप अब भी खुलेआम मेडिकल दुकानों में बिक रहा है। न कोई निरीक्षण, न कोई जब्ती — यह न सिर्फ सरकारी आदेशों की अवहेलना है, बल्कि जनता की जान से खिलवाड़ भी।
मझौली जबलपुर
जब छिंदवाड़ा जैसी त्रासदी पूरे देश का ध्यान खींच चुकी है, तब मझौली में इस सिरप की बेरोकटोक बिक्री औषधि नियंत्रण प्रणाली स्वास्थ्य विभाग, और स्थानीय प्रशासन की संयुक्त विफलता को उजागर करती है। क्या किसी और जिले में बच्चों की मौत होने के बाद ही प्रशासन हरकत में आएगा?
एक ज़हरीले सिरप का सफर – पूरे सिस्टम पर सवाल जिस सिरप में 48.6% डाईएथिलीन ग्लायकॉल पाया गया — जो कि सिर्फ 0.01% तक ही सुरक्षित माना जाता है — वो कैसे प्रदेश के अलग-अलग शहरों में अब तक बिकता रहा? प्रतिबंध के बावजूद क्या बाजार में पुराना स्टॉक हटाया नहीं गया? क्या ड्रग कंट्रोल विभाग ने जबलपुर जिले की मेडिकल दुकानों पर जांच की?