बहोरीबंद एक ऐसा छेत्र जहां चलता है अधिकारियों का राज तंत्र
बहोरीबंद, कटनी।
बहोरीबंद एक ऐसा छेत्र जहां चलता है अधिकारियों का राज तंत्र।
दुर्भाग्य है हमारा जहां देश को आजादी मिले 75 वर्ष गुजर चुके परन्तु बहोरीबंद आज भी गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ है। गुलामी भी किसकी यहां पदस्थ अफसरशाही की।
जी हां, बहोरीबंद में ही जिले के छतेल अधिकारी कर्मचारी भेजे जाते हैं।
कारण यही एक ऐसा सीधा भोला भाला छेत्र मिलता है जहां जनता जुर्म तो सहती है पर उफ़ नहीं करती । आदत बन चुकी है उसकी जुर्म सहने की ।जिसका भरपूर लाभ अफसरशाही उठाती है।
🌴सूटकेश लेकर आओ मालामाल होकर जाओ –
बहोरीबंद में बाहरी लोगों को पूज्य माना जाता है ऐसा यहां का पानी या प्रभाव है। यहां के मूलभूत रहवासी बाहरी कर्मचारियों को अपना बॉस बना के रखते हैं जिससे इक्का दुक्का काम बन जाते हैं। फिर क्या बॉस का जलवा बरकरार। वह आम व्यक्ति तथाकथित नेता जी की श्रेणी में भी आ जाता है क्योंकि उसकी दुकान या ठीहे पर अमुख कर्मचारी अधिकारी एक चाय जो पी लेता है ।
फिर क्या है इनकी नेतागिरी भी चल पड़ी । एक ट्ठीहा भी बाहरी बॉस को मिल गया यहां से चालू हो गया दलाली का खेल । बस फिर क्या मिजाल की बहोरीबंद्द से इनका ट्रांसफर हो पाए ,हुआ भी तो तथाकथित नेता अपने निजी स्वार्थों में पहुंच जायेंगे ट्रांसफर रुकवाने । तब तक सूटकेश से आया कर्मचारी मालामाल हो चुका होगा ।
छेत्र की नब्ज एवं कमजोरी जान चुका कर्मचारी फिर बड़े अधिकारियों को पूरे भेद प्रदान करता रहेगा और बहोरीबंद का शोषण लगातार तेजी से होता रहेगा ।
अधिकारी की जिद दुकानों में डाला ताला, व्यापारी ने उफ़ नहीं किया। नहीं तो हो जाता महुतरा कांड-
बहोरीबंद एसडीएम संघमित्रा गौतम ने ग्राम पंचायत द्वारा अलॉट की गई 40 दुकानों में ताला डलवा दिया । मजे की बात यह की सारे नियम कानून गए भाड़ में।
जहां ग्राम पंचायत ने बाकायदा अपने अधिकारों का पालन करते हुए ग्रामसभा में अनुमोदन उपरांत 40 दुकान दारों को दुकानें प्रदान की। दुकानों का किरायानामा निस्पादित किया गया। दुकानदार प्रति माह दुकानों का किराया ग्राम पंचायत खाते में जमा करता है। परन्तु एसडीएम ने अवैध कब्जा दर्शाते हुए बेदखली आदेश पारित कर दिया।
दुकानदारों ने बाकायदा जनपद में पूरे दस्तावेज किराया नामा एवं किराया की रसीद जमा की। वहीं एसडीएम महोदया ने सचिव से मूल ग्रामसभा का रजिस्टर जनपद में मांग अपने पास रख लिया। और सारे दस्तावेज मिलने के बाद भी यह दर्शा दिया की अविधानिक कब्जा है।
अब एसडीएम जो की मजिस्ट्रेट हैं । जिस कार्यालय में कोर्ट लगता हो। लोग न्याय मांगने जाते हों। उस पद की गरिमा का ध्यान अवश्य रखा जाना चाहिए था। परन्तु ऐसा नहीं हुआ। सारे दस्तावेज मिलने के बाद भी कहीं भी यह नहीं दर्शाया गया की ग्राम पंचायत का कहीं रोल काल है । व्यापारियों को जिद्दी वस दुकान में ताला डलवा दिया। रुपया पगड़ी देने के बाद भी जुर्म किया गया पूरे व्यापारियों ने जुर्म सहा पर उफ़ नहीं किया। उफ़ करते तो बेचारे पिसते अलग क्योंकि अधिकारी की सनक जहां 6 थाने की पुलिस को बुलाया गया था। वहीं केस दर्ज होते वो अलग। व्यापारियों ने कहा जुर्म सहो। कभी न कभी कोई मसीहा आयेगा जो इस जुर्म के खिलाफ बगावत करेगा। और ऐसे अधिकारियों को यहां से ट्रांसफर करा के भागना पड़ेगा।
तथाकथित नेता मजिस्ट्रेट को देते हैं गुलदस्था-
बहोरीबंद में कानून पारित करने पर तथाकथित नेताओं के द्वारा गुलदस्था एसडीएम संघमित्रा गौतम को भेंट किया जाता है। वो भी एसडीएम कार्यालय नहीं बल्कि नए सरपंच पति के निजी गार्डन में। समझ जाइए की कार्यवाही प्लानिग थी। जिसमें प्रतिनिधि के पतियों द्वारा एसडीएम संघमित्रा गौतम को 40 दुकान में ताला डालने पर गुलदस्ता भेंट किया जाता है। जिसका वीडियो वायरल होता है एवं अख़बारों में खबरें छपती है। जरा सोचिए-
क्या अगर दुकान में ताला डालने की कार्यवाही नियम पूर्वक होती तो क्या मैडम को गुलदस्ता लेने निजी गार्डन जाना पड़ता। खैर।
🌴मान उच्च न्यायालय भी इनके आगे कुछ नहीं-
बात करते हैं एसडीएम महोदया की जिनने सारे नियमों को ताक में रख हाई कोर्ट के आदेश की भी अवमानना कर डाली।
जैसे ही व्यापारियों ने एसडीएम को बताया न्यायालय में सुनवाई जारी है फिर क्या ताबड़तोड़ ताला तोड़ प्रतियोगिता चालू होती है। एसडीएम एवं नए सरपंच के गुर्गे जिनका वीडियो खूब वायरल हुआ था, ने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी की। और मान उच्च न्यायालय के आदेश यथावत के बाद सारे नियम हाथ में। कोई सुनवाई नहीं।
अब पुनः व्यापारियों ने मान उच्च न्यायालय की शरण ली है। देर से ही सही व्यापारियों को न्याय जरूर मिलेगा।