वन विभाग के अधिकारी जगन्नाथ पटैल ने बताया की गुप्त सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार मझौली के वार्ड क्रमांक 12 में चल रही अवैध रूप से आरा मशीन में मंगलवार की साम 13/09/2024 को छापेमारी करते हुए करीब डेढ़ लाख रुपए की कीमत की सागौन की लकडी बरामद की गई।
मझौली जबलपुर
अवैध रूप से चल रही आरा मशीन मालिक गिरीश विश्वकर्मा से जब एन ओसी एवं इस कीमती लकडी के विषय में जानकारी मांगी गई तो कोई भी कागज नहीं मिले।
डीएफओ जबलपुर के निर्देश पर मझौली वन विभाग और वन परिक्षेत्र सिहोरा की संयुक्त टीम ने मिलकर मझौली में की बड़ी कार्यवाही।।
टीम ने मुखबिर से सूचना प्राप्त कर , अवैध रूप से संचालित आरा मशीनों के साथ बड़ी मात्रा में बेस कीमती लकड़ी जब्त की ,जिसमे सागोन जैसी आरक्षित लकड़ी शामिल है।।
बताया जा रहा हे के अवैध रूप से संचालित फर्नीचर मशीनों के कोई भी लाइसेंस नही हे ,जिसको को वन विभाग ने कार्यवाही कर जब्त किया ।।
कार्यवाही के दौरान अवैध रूप से संचालित फर्नीचर मशीनों के मालिक ने वन विभाग की टीम के नेतृत्वकर्ता पर हमला कर दिया और सरकारी दस्तावेजों को फाड़ दिया जिसमे पंचनामा शामिल था ।।
थाना मझौली के अनुसार गिरीश विश्वकर्मा नामक व्यक्ति ने रेंजर जगन्नाथ पटेल के साथ झूमा झपटी कर दी और पंचनामा फाड़ दिया जिसकी शिकायत प्राप्त होने पर 121 (1), 132बीएनएस विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।।
वन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जबलपुर डीएफओ के निर्देश पर मझौली में कार्यवाही की गई हे जिसमे लाखो रुपए की कीमती लकड़ी और अवैध रूप से संचालित फर्नीचर मशीनों को जब्त कर आगे की कार्यवाही के लिए वन विभाग के नियम अनुसार वन विभाग अधिनियम 1927,1984 और अन्य विभिन्न धाराओं पर कार्यवाही की गई।।
वही फारेस्ट विभाग की टीम के द्वारा जब लकड़ी जब्त कर पंचनामा बनाया जा रहा था ।तभी कुछ स्थानीय नेताओं द्वारा अवैध रूप से चल रही आरा मशीन मालिक को बचाने की लगातार कोशिश की जा रही थी। आरा मशीन मालिक गिरीश विश्वकर्मा के द्वारा अपशब्दो का उपयोग कर विवाद किया गया। जहां पर स्थानीय नेता भी उपस्थित रहे तो वही फारेस्ट विभाग के अधिकारी जगन्नाथ पटैल से अधिकारी कर्मचारी की उपस्थिति में आरा मशीन मालिक गिरीश विश्वकर्मा द्वारा गाली गलौज, करते हुए मारपीट की गई।
विगत कई वर्षों से मझौली के वार्ड क्रमांक 12 में अवैध रूप से चल रही आरा मशीन मे लकड़ी चिराई का कार्य चल रहा था।जिसकी न तो परमिशन थी और न कोई लाइसेंस था।