उर्वरक माफियाओं को बचाने की लगातार चल रहीं कोशिशें
सतना
सतना के चिन्हित नामजद उर्वरक माफियाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की बजाय कृषि विभाग के अधिकारी फुटकर उर्वरक विक्रेताओं को अपना निशाना बना रहे है हैं। आरोप है कि तथाकथित उर्वरक माफियाओं को बचाने प्रदेश के कृषि मंत्री का विभाग के संभागीय अधिकारी (जेडीए) पर बड़ा दबाब है। यही वजह है कि विभाग तथाकथित उर्वरक माफियाओं से लोगों का ध्यान भटकाने फुटकर उर्वरक विक्रेताओं को इस कार्यवाही के दायरे पर लाने की कोशिश में लगा हुआ है। आपको बता दें कि यहां के तत्कालीन डीडीए ने तथाकथित उर्वरक माफियाओं की बड़ी अनियमितता का मामला जांच में पकड़ा था और उनके लाइसेंस निरस्तगी की भी कार्यवाही की थी। इस मामले में चिन्हित उर्वरक माफियाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के दिशा निर्देश भी विभाग द्वारा दिए गए। उर्वरक माफियाओं द्वारा अन्नदाताओं के शोषण के इस गंभीर मामले को मऊगंज के भाजपा विधायक प्रदीप पटेल ने विधानसभा में प्रमुखता के साथ उठाते हुए प्रदेश के कृषि मंत्री का ध्यान भी इस ओर आकृष्ट करवाया था और इस संदर्भ में विभाग द्वारा तथाकथित उर्वरक माफियाओं के खिलाफ अब तक क्या कार्यवाही हुई की जानकारी चाही थी। सूत्रों की मानें तो उर्वरक माफियाओं के दबाब में आकर कृषि मंत्री ने विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को इनके खिलाफ किसी तरह का कोई एक्शन न लेने का प्रेशर बनाया। जो भी हो, फिलहाल चिन्हित उर्वरक माफियाओं के खिलाफ अब तक किसी तरह की कोई कार्यवाही विभागीय अधिकारियों द्वारा न किया जाना उन्हें सवालों के कठघरे में खड़ा करता है। सूत्र यह भी बताते हैं कि इस मामले में संयुक्त संचालक कृषि (जेडीए) रीवा केएस नेताम अपना महत्वपूर्ण रोल निभा रहे हैं।*