कृषि विभाग ने किसानों को दी डीएपी की जगह एनपीके का इस्तेमाल करने की सलाह.
डीएपी की तुलना में एनपीके उपलब्ध कराता है पौधों को ज्यादा पोषक तत्व.
जबलपुर
किसान कल्याण तथा कृषि विभाग ने फसलीय पौधों के लिये एनपीके उर्वरक को डीएपी से ज्यादा उपयोगी बताते हुए जिले के किसानों को डीएपी के स्थान पर एनपीके उर्वरक का इस्तेमाल करने की सलाह दी है।
जिले के उपसंचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास डॉ. एस के निगम के मुताबिक डीएपी उर्वरक के उपयोग से पौधों को केवल दो मुख्य पोषक तत्व नाइट्रोजन एवं फास्फोरस ही प्राप्त होते हैं, जबकि फसलीय पौधों के लिए नाइट्रोजन और फॉस्फोरस के साथ ही तीसरे पोषक तत्व पोटाश की भी आवश्यकता होती है और यह डीएपी में नहीं पाया जाता। एनपीके के इस्तेमाल से फसलीय पौधों में इन तीनों मुख्य तत्वों की पूर्ति की जा सकती है। डॉ. निगम ने बताया कि किसान यदि डीएपी का उपयोग करते हैं तो उन्हें फसल में पोटाश की पूर्ति के लिए अलग से पोटाशयुक्त उर्वरक की आवश्यकता होगी। इससे किसानों को लागत का अतिरिक्त भार भी वहन करना पड़ता है।
उप संचालक कृषि ने किसानों को एनपीके के उपयोग की सलाह देते हुये कहा कि इससे पौधों के लिए जरूरी तीनों मुख्य पोषक तत्वों की आपूर्ति की जा सकती है। उन्होंने डीएपी और एनपीके उर्वरक की गुणात्मक तुलना करते हुए बताया कि बताया कि एनपीके 12:32:16 में नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश के साथ-साथ द्वितीयक एवं सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे कैल्शीयम, मैग्नीशयम, सल्फर, आयरन, जिंक व एल्युमिनियम भी पाये जाते हैं, जबकि डीएपी में इन सभी द्वितीयक एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों का अभाव रहता है।
डॉ निगम के अनुसार डीएपी पानी में पूर्ण रूप से घुलनशील नहीं होता, जबकि एनपीके पानी में पूरी तरह घुल जाता है। उन्होंने बताया कि डीएपी के उपयोग से मृदा का पीएच मान बढ़ जाता है अर्थात जहाँ डीएपी मृदा को क्षारीय बनाता है, वहीं एनपीके के इस्तेमाल से मृदा पर कोई भी विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता।