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Saturday, June 21, 2025

अब किसी पर नहीं गिरेगी बिजली… भारत के वैज्ञानिकों ने बनाया कमाल का सिस्टम, जानें कैसे बचाएगा लाखों जिंदगी

भारतीय वैज्ञानिकों ने एक नया सिस्टम विकसित किया है, जो बिजली गिरने से 3 घंटे पहले चेतावनी दे सकता है। यह सिस्टम इंसैट-3डी सैटेलाइट का उपयोग करके बदलावों को भांप लेता है।

देश विदेश 

भारत में अब बिजली गिरने से होने वाली मौतों को कम किया जा सकेगा। वैज्ञानिकों ने एक ऐसा सिस्टम बनाया है, जो बिजली गिरने से 3 घंटे पहले ही चेतावनी दे देगा। इस सिस्टम से किसानों और खुले में काम करने वाले लोगों को समय रहते सुरक्षित स्थान पर जाने का मौका मिल जाएगा। नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) के वैज्ञानिकों ने भारत के Insat-3D सैटेलाइट का इस्तेमाल करके यह सिस्टम बनाया है

भारतीय वैज्ञानिकों ने बिजली गिरने से होने वाली मौतों को रोकने के लिए एक सिस्टम तैयार कर लिया है

यह सैटेलाइट 36,000 किलोमीटर ऊपर से ही वातावरण में होने वाले बदलावों को भांप लेता है। इससे आउटगोइंग लॉन्गवेव रेडियेशन (OLR) यानी पृथ्वी से अंतरिक्ष में जाने वाली गर्मी की ऊर्जा में होने वाले बदलावों को मापकर बिजली गिरने संभावना का पता चल जाता है। पहले के सिस्टम सिर्फ 30 मिनट पहले ही चेतावनी देते थे, लेकिन यह नया सिस्टम ज्यादा समय देगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस सिस्टम की सटीकता 75% से 85% तक है।

एक लाख से ज्यादा लोगों की जा चुकी है जान

हर साल मानसून के मौसम में बिजली गिरने से भारत में कई लोगों की जान जाती है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के मुताबिक 2002 से 2022 के बीच भारत में 52,477 लोगों की मौत बिजली गिरने से हुई है। एक वैज्ञानिक अध्ययन में यह भी कहा गया है कि 1967 से 2020 के बीच 1 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे। अगर हमारे पास लोगों को बिजली गिरने से पहले चेतावनी देने का सिस्टम होता, तो इनमें से कई मौतों को रोका जा सकता था।

इस तरह आसानी से लगाया जा सकता है पता

दरअसल, आसमान के संकेतों को पढ़ने का रहस्य आउटगोइंग लॉन्गवेव रेडियेशन (OLR) में छिपा है। यह मूल रूप से गर्मी की ऊर्जा है, जो पृथ्वी वापस अंतरिक्ष में भेजती है। NRSC के वैज्ञानिकों ने भारत के Insat-3D सैटेलाइट का इस्तेमाल करके पता लगाया है कि बिजली गिरने से पहले इस विकिरण में बहुत बदलाव होता है।

सैटेलाइट पहचान सकते हैं बदलता पैटर्न

NRSC की रिसर्च टीम के प्रमुख आलोक ताओरी ने बताया कि जब जमीन गर्म होती है, तो कम दबाव बनता है जिससे गर्म हवा तेजी से ऊपर उठती है और आंधी-तूफान बनता है। इससे OLR में गिरावट आती है। आसान शब्दों में कहें तो, बिजली गिरने से पहले, पृथ्वी की गर्मी का पैटर्न बदल जाता है, जिसे सैटेलाइट पहचान सकते हैं। यह ठीक वैसा ही है जैसे केतली उबलने से ठीक पहले उसकी भाप का पैटर्न बदल जाता है। ताओरी ने कहा कि जब आंधी-तूफान बनता है, तो पृथ्वी से निकलने वाला कुछ विकिरण फंस जाता है। इस विकिरण में कमी को सैटेलाइट से साफ तौर पर देखा जा सकता है और यह आंधी-तूफान के विकास का संकेत हो सकता है।

वैज्ञानिकों ने बनाया ‘कंपोजिट इंडिकेटर’

टीम का तरीका तीन सैटेलाइट मापों को जोड़ता है। जमीन की सतह का तापमान (LST) यानी जमीन कितनी गर्म है। बादलों की गति (CMV) यानी बादल कैसे चल रहे हैं और बदल रहे हैं और OLR. इन सभी चीजों का विश्लेषण करके, वैज्ञानिकों ने एक ‘कंपोजिट इंडिकेटर’ बनाया है, जो बिजली गिरने से करीब 3 घंटे पहले बड़े बदलाव दिखाता है। इससे कमजोर समुदायों तक चेतावनी पहुंचाने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है।

सुंदरलाल बर्मनhttps://majholidarpan.com/
Sundar Lal barman (41 years) is the editor of MajholiDarpan.com. He has approximately 10 years of experience in the publishing and newspaper business and has been a part of the organization for the same number of years. He is responsible for our long-term vision and monitoring our Company’s performance and devising the overall business plans. Under his Dynamic leadership with a clear future vision, the company has progressed to become one of Hindi e-newspaper , with Jabalpur district.

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